Tuesday, November 15, 2011

मिस चुगलखोर

मिस   चुगलखोर
  
मिस  चुगलखोर  बनाम  मिस  चाकलेट  खोर.यह  इसका  असली  नाम  नहीं  है. नाम  तो  कुछ  ओर  है  परन्तु  सब  इसको  मिस  चुगलखोर  के  नाम  से  पहचानते  हैं.यह  नाम   कब  पड़ा,  किसने  रखा  यह  तो  पता  नहीं  पर  लोग  उसे  मिस  चुगलखोर  नाम  से  बुलाते  हैं  जहाँ  कहीं जाती  है  लोग  चुपचाप  अपना  काम  करना  शुरू  कर  देते  हैं  या  करने  का  बहाना   करते  हैं .
इसकी  आयु  होगी  कोई   नौ या  दस  वर्ष  की  चौथी  या  पांचवी  कक्षा  की  विद्यार्थी  है   इसके  घर  में   माता-पिता तथा  एक  बड़ा  भाई  और  एक  छोटा  सा  भाई  है . यह  इस  नाम से  बहुत   चिढ़ती  है . क्योंकि  यह  इसका  असली  नाम नहीं हैआप  उसका  असली  नाम  कुछ  भी  रख  सकते  हैं  जैसे  पिंकी , डाली  , बेबी  इत्यादी  .स्कूल  से  आते  ही  माता  से  सब  बच्चों  की  बातें  बतानी  शुरू  कर  देती  है. आज  क्लास  में  क्या  हुआ.टीचर  ने  किसको  सज़ा दी  . पिता के  घरआते  ही  उनसे  माँ की  शिकायत  अथवा  भाईओं के  किस्से  शुरू  कर  देती  है. जैसे  बड़े  भाई  ने  उसे  चाकलेट  नहीं  दी. छोटे  भाई  के  कारन उसको  माँ  से  डांट खानी पडी . उनके  घर  का  रेफ्रीजेरटर हमेशा  चाकलेट  से  भरा  होता  है . उसे  पता  है  ज्यादा  चाकलेट  खाने  से  दाँत सड़ जाते  हैं  उसको  चुप  कराने  के  लिए  चाकलेट  दिए  जाते  हैं .वह  फिर  चाकलेट  खाने  में  व्यस्त  हो  जाती  है .
क्लास  में  जैसे  ही  टीचर  आती  हैसब  से  पहले  खड़ी हो करबच्चों  की  चुगली  करने  लग  जाती  है.जिसकी  वजह  से  टीचर  को  कई  बार  उसे  सज़ा  भी  देनी  पड़ती हैउसे  कई  बार  क्लास  के  बाहर भी  निकाल  दिया  जाता  है .लेकिन  वह  दूसरों  को  अंगूठा  दिखाकर  चिढ़ाने  लगती  है . खेल   के  मैदान  में  खेलती  कम  है . दूसरों  की  गलतियाँ   अधिक  निकालती रहती  है. .पढाई लिखाई  में  कुछ  ख़ास  नहीं. अपना  होम  वर्क  दूसरे  बच्चों  से  करवाती  रहती  है  नहीं  तो  वह  उनकी  चुगलखोरी  कर  देती  है , कि वह  क्लास  में  एक  दूसरे  की  नक़ल  कर  रही  थी .बच्चे  भी  उसको  देखते  ही  अपना  काम  करने  लगते  हैंनहीं  तो  क्लास  का  नियम  खराब  हो  जाएगा  अथवा  सब  की  पढाईमें  नुकसान  होग. यहाँ  तक  कि  उसकी  शिकायत  प्रिंसिपल  से  भी  की गयी  लेकिन  उस  पर  इसका   कोई  प्रभाव  नहीं  पडा .अब  समस्या  यह  थी  कि  उसकी  इस  आदत  को  कैसे  दूर किया  जाए.बच्चों  को  कहा  गया  कि  वे  उस  पर  ध्यान  हटा  कर  अपना    समय पढाई में  लगाएं .
वैसे  वह  एकदम  साफ़  सुथरी  बाल अच्छी  तरह  सँवारे  हुए , जूते  खूब  चमकते  हुए,  पुस्तकों  को  भी  ठीक   तरह तरकीब से  रखती  है  लेकिन  पढाई  में  मन  नहीं  लगता क्योंकि  दिनभर  हर  समय  दूसरों  की  चुगलखोरी  की  बातें  ढूंढती  रहती  है .
आप  भी  उसकी  तरह  चुगलखोर    बन  जाएँक्योंकि  खाने  में  बहुत  से  चाकलेट  मिल  जाते  हैंया  कभीकभी उसकी  चुगलखोरी  सही  भी  हो  जाती  है  इस  कारन  उसकी  इस  आदत  को  नकारा  भी  नहीं  जा  सकता ……….



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