Wednesday, April 16, 2014

योग्य वर और वधू की खोज

योग्य वर और वधू की खोज
    रामायण तथा महाभारत काल से चलती आ रही वर तथा वधू की खोज में स्वयंबर के दृश्य आज भी नज़र आते हैं | योग्य वर के लिये कई शर्ते रखी जाती थीं| पुराणों के अनुसार विवाह आठ प्रकार के माने जाते हैं जिसमें प्रेम विवाह आज भी बड़े ज़ोरों से प्रचलित है |बदलते समय के साथ प्रेम विवाह बड़ी आम बात हो गयी है |इसमें कोई जाति,धर्म अथवा भाषा का बंधन नहीं होता |यह इक्कीसवी सदी के लोगों के विचार हैं | उनको लगता है कि प्रेम विवाह अधिक सफल होते हैं |अगर कोई प्रेम विवाह न कर सका तो उनको दूसरा रास्ता ढूंढना पड़ता है | उन
युवक तथा युवतियों को योग्य वर और वधू की खोज में थोडी कठिनाई हो जाती है | लेकिन इस बात को कई माध्यमों ने आसान कर दिया है |
     सबसे सुगम तरीका है टीवी और इंटरनेट पर खोज करना | आजकल तो यह एक धंधा भी हो गया है | कई युवक तथा युवती योग्य साथी पाने में सफल भी हो जाते हैं | और कई असफल | इसमे धोखा खाने का अवसर भी होता है | जो इस तरह के विवाह नहीं कर सकते उनके लिये कई संस्थाएं भी काम कर रहीं हैं | यह आजकल एक फ़ैशन हो गया है कि लड़का और लड़की पहले आपस में मिलते हैं | अब यह रिश्ते आपसी कुटुम्बो में नहीं होते | अगर ठीक लगा तो माँ-बाप के साथ बात आगे बढ़ती है | इसको लड़का और लड़की अपनी निजी बात समझते है | सभी ऊंचे खानदानवाला,अच्छी नौकरी वाला,आत्म–निर्भर,उसकी हर बात में हाँ में हाँ मिलानेवाला साथी ही पसंद करते हैं | कई लोगों से परिचय करने पर पता चला कि उन्हें किस प्रकार के लड़के तथा लड़कियों से किस तरह से मुलाकातें करनी पड़ी और वे कई खुश भी हुए और कई बस समय बिताकर चलते बने | उनकी वर अथवा वधू ढूंढने की खोज के परिणाम क्या हुए | वे कहाँ तक सफल हुए | ज़रा देखें |
एक बार माँ  अपनी बेटी को किसी शादी में ले गयी | शायद वहां कोई नौजवान पसंद आ जाये| एक लड़का मिला | भाषा अलग,खान-पान अलग | माँ  बेटी से कहे कि वह लड़के से कुछ बात करे | वह देखना चाहती थी कि दोनो आपस में क्या बातें करते हैं | बेटी ने कह दिया कि वह मांसाहारी है और लड़का पक्का शाकाहारी | उनकी आपस में नहीं बन सकती |माँ बड़ा ज़ोर लगा रही थी कि लड़की कैसे मान जाए | और उनका विवाह हो जाए ताकि उसकी ज़िम्मेदारी समाप्त हो जाये  |लेकिन लड़की वहां से उठकर चली आई |
       दूसरा किस्सा-लड़कें-लड़कियां घर में माँ-बाप के सामने नहीं मिलते परन्तु किसी कैफ़े या किसी बड़े होटेल के कमरे में मिलना अधिक पसंद करते हैं | लड़का-लड़की किसी होटेल में मिले | लड़का बार-बार आपनी बहूकीमती घड़ी की तरफ देखने में लगा हुआ था और अपनी महगी से महंगी वस्तुओं का बखान करता जा रहा था | लड़की में शायद वह इतनी दिलचस्पी नहीं ले रहा था जितनी कि वह अपनी जायदाद में | लड़की भी अत्यन्त चुस्त थी | उसने अपने सँवारे हुए बाल झटकाए और अपना कीमती पर्स घुमाते हुए कहा,`आपको खरीदने के लिये मेरे बाप के पास पैसे नहीं`| और उठकर चली आई |
      एक और किस्सा | तीन चार महीनों तक योग्य वर और वधू की खोज में लड़का-लड़की मोबाइल पर बात करते रहे कभी हाँ और कभी न करते |मिलने का वादा करते | थोड़े दिन चुप रहते | फिर बातचीत शुरू हो जाती | वह दिन आ ही गया जब दोनो ने मिलने का प्रोग्राम निश्चित कर ही लिया | लड़का कैफ़े में समय से पहले ही पहुँच गया | सिगरेट फूंकनी शुरू की | इतने में लड़की को आता देख सिगरेट बंद कर दी और उसका स्वागत करते हुए लड़की को बैठने के लिये कहा | लड़की उस को देख कर हैरान कि यह वह लड़का नहीं था जैसी उसने अपनी फ़ोटो भेजी थी | लड़की ने बैठते हुए प्रश्न किया कि वह अपने बारे में कुछ बताए | लड़के ने बताया कि वह उस लड़के का भाई था | उसके भाई को काम था इसलिये उसने उस को भेज दिया कि लड़की निराश न हो| अगर पसंद आये तो वह शादी कर सकता है |यह बात उनकी माँ ने चलायी थी और वे अपनी माँ को मना नहीं कर सकते थे | लड़की यह कह कर खड़ी हो गयी कि उसको उसमे कोई दिलचस्पी नहीं हैं | और एक सैकण्ड में कैफ़े से बाहर आ गयी | लड़का देखता रह गया |
      एक और बात | लड़की होटेल में निश्चित समय से पहले ही पहुँच गई | जैसे ही लड़का वहां पहुँचा लड़के ने अपनी कमीज़ के बट्टन खोल दिये जैसे कि वह अपने आपको बड़ा सैक्सी दिखाकर लड़की को लुभा देगा | लड़की डर गयी कि वह वहां क्या करने आया था | लड़की ने सोचा कि उसको एक थप्पड मारे और वहां से चली जाए | क्या उसे ऐसा जीवन साथी मिलेगा जिस को सेक्स के सिवाय कुछ ओर आता ही नहीं | उसने दोनो हाथ जोड़ कर नमस्ते की और बाहर आ गयी |
      कितनी निराशा होती होगी जब ऐसे लोगो से मुलाकात होती है | और बात आगे बढ़ने का मौका ही नहीं मिलता | एक बार एक लड़का पण्डित से पूछ रहा था कि कुछ दिनों में वह शादी करने वाला है परन्तु उसके पास कोई नौकरी नहीं | वह क्या करे? समझ में नहीं आता कि ऐसे लड़के शादी क्यों करते हैं जब कि घर चलाने के लिये उनके पास कोई साधन ही नहीं | शायद यह समझते हैं कि शादी के बाद लड़की अपने माँ-बाप से पैसे ले आयेगी या वह घर जमाई बन जायेगा | या लड़की की कमाई पर जीवन बिताएगा | और सारी उम्र लड़की को धोखे में ही रखेगा कि वह क्या करे वह कोशिश बहुत करता है परन्तु नौकरी नहीं मिलती |लेकिन इसका परिणाम कभी हत्या, आत्महत्या, सम्बंधविच्छेद,कोर्ट कचहरी के चक्कर ही होते हैं |
        जब आयु तीस-बतीस पार कर जातें है तो मिलने पर पहला प्रश्न पूछते हैं कि अभी तक उनकी शादी क्यों नहीं हुई | क्या कोई फ्रैंड नहीं बना या वह इस लायक ही नहीं | उसके कितने ब्वाएे या गर्ल फ्रैंड्स हैं | शादी के  बाद वह अपना सम्बंध बनाये रखेगी या तोड़ देगी | इसके भी कई अजीब परिणाम देखे गये हैं |
              कभी कभी लड़का मिलते समय अपनी खामियों को छुपाने के लिये हर बात को हंसी में उड़ा देता है |अकलमंद को इशारा ही काफी होता है | कोई अपनी माँ का बेटा होता है | अर्थात जैसे माँ कहती है वैसा ही करता है | उसकी अपनी कोई राय ही नहीं होती | वह शादी तो करना चाहता है परन्तु किसी कारणवश अपने माँ बाप को छोड़ना नहीं चाहता या उसके माँ-बाप उसको छोड़ना नहीं चाहते | लेकिन लड़की को यह बिलकुल पसंद नहीं कि उसके जीवन में कोई हस्तक्षेप करे | वह शिक्षित है,थोड़ा बहुत अनुभव है | वह अपने तरीके से अपना घर संसार चलाना चाहती है | उनकी बात भी आगे नहीं बढ़ पाती  |
      कई लोगों का अतीत उनको आगे बढ़ने नहीं देता | उसके पास डिग्री,नौकरी,घर,भाई,बहनआदि है | लेकिन उसके माँ-बाप का अतीत उनके जीवन में बाधा बन जाता है | कहीं भी उसको सम्मान नहीं | पूरा जीवन खुशी ढूढ़ने में ही बीत जाता है | कितनी बार मुलाकातें करते है लेकिन उनका अतीत धोखा दे जाता है |
       फिर यह प्रश्न रहता है कि वे योग्य वर या वधू कहाँ और कैसे ढूँढे | तब उनका ध्यान विदेश में बसे लोगों की तरफ़ जाता है |कई योग्य वर तथा वधू मिलने पर शादी कर विदेश में ही रहने चले जाते हैं ताकि कोई उनके जीवन में कोई कड़वाहट न भर दे | कोई कई वर्ष विदेश में रहने के बाद योग्य वर या वधू ढूँढ नहीं पाते | वापिस लौट कर साथी की खोज में लग जाते हैं | और शादी डॉट काम का सहारा लेते हैं |एक सप्ताह में शादी कर वापिस लौट जाते हैं |यह मालूम करना कठिन होता है की वह कुंवारा है या तलाकशुदा | फिर भी लोग चक्कर में आ जाते हैं कि वह जो कह रहा है सच ही होगा |कई  बार लड़के-लड़कियां उनके झांसे में फंस ही जाते हैं | लड़की का अपना नसीब |
कई अज़ीब किस्से | कोई भारी भरकम वाला एक पतली सी लड़की की खोज में है | तो कोई पियक्कड़ झूमते हुये आता है तो कोई झूठ का सहारा ले कर | कोई अपनी दिनचर्या से दुखी हो कर लड़की में अपना सुख ढूंढने आता है  कोई ढूंढता है एक घर सँभालनेवाली,अथवा घर के काम-काज में निपुण अथवा जो उसके वृद्ध और अशक्त माँ-बाप की देखभाल कर सके | लड़की के अरमानों का कोई मूल्य नहीं | उसकी इच्छायों की कोई मान्यता ही नहीं | इन सब के परिणाम भी अच्छे नहीं होते | वही परिणाम हत्या,आत्महत्या,सम्बंध विच्छेद,कोर्ट कचहरी के चक्कर | अथवा लड़की अकेले ही अपना जीवन बिताने पर मज़बूर हो जाती है |
अगर किसी को योग्य वर और वधू न मिली तो पूरी आयु अकेले में ही बीत जाती है | फिर पीछे मुडकर देखने से कई लाभ नही |






Tuesday, April 15, 2014

स्कूल में बच्चों की हलचल


























स्कूल में बच्चों की हलचल
INT  (टीपू के घर का कमरा  | शाम का समय)
पात्र:-
टीपू और अरुण-25 वर्ष के नौजवान 

 (टीपू सोफे पर बैठकर फाईल में कुछ पेपर देख रहा है | उसके मोबाइल की रिंगटोन बजती है |वह मोबाइल उठाता है और कान से लगाता है)

टीपू
हेलो  ?|कौन ?अरुण | अरुण कौन? मैं नहीं जानता| |कहाँ से बोल रहें हैं ?
(टीपू मोबाइल की आवाज़ उँची करता है ) हाँ ,अब बोलो |

(दूसरी तरफ से अरुण बोलता है)

अरुण
अरे साले ,मेरी अवाज़ नहीं पहचानता |मुझे भूल गया क्या | मैं तेरा स्कूल का दोस्त अरुण |

(टीपू फाइल एक तरफ रख कर खड़ा हो जाता है| मोबाइल पर बात करते हुए आगे पीछे चलने लगता है)

 टीपू
तू कहाँ से बोल रहा है ?

अरुण
अरे यार ,तेरे घर के बाहर खड़ा हूँ|दरवाज़ा तो खोल |

टीपू
(जल्दी से दरवाज़ा खोल कर देखता है और पहचान कर अरुण को गले लगाता है) साले क्या पहेलियाँ बुझाता है |

अरुण
मैं तुझे झटका देना चाहता था कि तेरे सामने अरुण खड़ा है या उसका भूत |

टीपू
(अरुण को मुक्का मारकर |)तू असली है या नकली | अरुण ही है | बैठ | (दोनों सोफे पर बैठ जाते हैं)
 आज कैसे मेरी  याद आई ?

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अरुण
स्कूल के सामने से गुज़रा तो बस स्कूल के दिन याद आ गए और तेरे घर चला आया |

टीपू
चल,किसी कैफ़े में चलते हैं|वहां जीभर कर बातें करेंगे| माँ,मैंअभी आता हूँ |

(दोनो घर से बाहर जाते हैं )

दृश्य परिवर्तन
INT कैफे का दृश्य | शाम का समय |
पात्र:-
टीपू और अरुण, कुछ लड़के,लड़कियां,वेटर |

(कुछ लड़के-लड़कियां बैठे हैं और बातों में मस्त हैं|टिपू और अरुण दोनो कैफ़े में दाखिल होते हैं और कुर्सी पर बैठ जातें  हैं | वेटर उनके पास आता है)

टीपू
(वेटर से) दो क़ाफी प्लीज़)(वेटर चला जाता है)

(टीपू और अरुण बहुत धीरे- धीरे बातें कर रहें  हैं | बीच बीच में हँस पड़ते हैं |वेटर क़ाफी रख कर चला जाता है | दोनो क़ाफी का घूँट पीते हुए )

अरुण
मुझे वह स्कूल की सीडियाँ,दादी,नानी का स्वागत,क्लास में खरगोश और कछुए का नाटक,खेल का मैदान सब याद है|

टीपू
और वह खेल का मैदान (दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़ कर खूब हँसते हैं)


दृश्य परिवर्तन

 EXT (एक स्कूल की ईमारत | समय दोपहर का |)
पात्र:-
टीचर, बच्चों के अभिभावक जैसे दादी और नानी
बच्चे-आयु : वर्ष- अरुण,अमन, बिटू, जोजो, कौशल, मीतू,रवि , रोहित ,रोश, शाम,शिव, सिड, टीपू, और कई बच्चे |
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(बाहर दीवार पर स्कूल का नाम बाल विद्या मंदिर विद्यालय लिखा हुया है | स्कूल की छुट्टी की घंटी बजती है और बच्चों का शोर हो जाता है | |क्लास में बच्चे अपने बैग ले कर घर जाने की तैयारी करते हैं |  बच्चों के अभिभावक बाहर बच्चों का इंतज़ार कर रहें हैं | अपने अपने बच्चों को लेकर जा रहें हैं | दो बच्चे टीपू और अरुण स्कूल की सीढियों पर बैठ कर अपनी दादी तथा नानी का इंतज़ार कर रहें हैं)

टीपू
अरुण,तुझे कौन लेने रहा है ?

अरुण
दादी और तुम्हे ?

टीपू
नानी|तेरा घर कितनी दूर है ?

अरुण
बस पास में ही है | तू अकेला नहीं जा सकता ?

टीपू
मैं छोटा हूँ इसलिये मम्मी कहती है अकेले मत आना |दादी लेने आएगी|
(अपनी कमीज़ की बाहें उपर चढ़ा कर)वैसे मैं बहादुर हूँ |मैं किसी से डरता नहीं | मेरी दादी धीरे-धीरे चलकर आती है |

अरुण
धीरे क्यों चलती है ?

टीपू
क्योंकि वह बूढ़ी हो गयी है|

(कैमरा  दादी पर | दूर से दादी का धीरे धीरे आते हुए )

(कैमरा वापिस टीपू पर)

टीपू
वह देखो, वह मेरी दादी रही है|

अरुण
तेरी दादी तो बहुत बूढ़ी है | मेरी नानी तो जवान है |

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टीपू
दादी मतलब बूढ़ी औरत|वह मेरे पापा की माँ है न इसलिये बूढ़ी है| पापा की  माँ हमेशा बूढ़ी ही होती है|

अरुण
मेरी नानी मेरी मम्मी की माँ|मतलब दादी सब की बूढ़ी और नानी हमेशा जवान होती हैं |

टीपू
हाँ शायद ऐसा ही होता है |मेरी नानी भी जवान है |

(टीपू की दादी का प्रवेश)

टीपू
दादी, जल्दी आया करो |सब बच्चे चले गये |केवल हम दोनो रह गये है |

दादी
यह कौन है ?

टीपू
यह अरुण है |हम दोनो एक ही क्लास में पढ़ते हैं|

अरुण
लो मेरी नानी भी गयी |(नानी पास आकर)

नानी
लो मुझे अपना बैग दे दो और चलें|

अरुण
(अपना बैग नानी को देता है)

 नानी
(टीपू की तरफ इशारा करते हुए) यह कौन है ?

अरुण
मेरा दोस्त टीपू | (अरुण और नानी दोनो चले जाते हैं | (अरुण थोड़ा रुक कर |) नानी रुको |

नानी
क्यों ?
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अरुण
मैने टीपू को बाय-बाय नहीं कहा |(ज़ोर से)टीपू,बाय-बाय |
(और चल पड़ते हैं |)

(रास्ते में जाते हुए)
टीपू
दादी ,एक बात बताओ |

दादी
बोलो |

टीपू
आप बूढ़ी क्यों हैं?

दादी
समय आने पर सब बूढ़े हो जाते हैं |

टीपू
दादी,नानी भी कभी बूढ़ी होती है | 

दादी
हाँ, समय बीतते सब बूढ़े हो जाते हैं |तुम भी एक दिन बूढ़े हो जाओगे |

टीपू
दैट इज़ वैरी- वैरी बैड |(घर पहुंच जाते है)


दृश्य परिवर्तन

 INT स्कूल में क्लास का कमरा | समय सुबह का |

पात्र:
टीचर, बच्चे |
दीवारों पर जानवरों की तस्वीरे लटकी हैं |बच्चे अपनी सीटों पर बैठे है |टीचर का प्रवेश |बच्चे खड़े हो जातें हैं |)

टीचर
बच्चो बैठ जाओ |
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(बच्चे बैठ जाते हैं)

 टीचर
बच्चो कल  दादी और नानी के स्वागत का दिन हैं |आप सब अपनी दादी और नानी को साथ ले कर आएं|आज कौनसी कहानी सुनोगे ?

बच्चे
कोई भी |

टीचर
जानवर की या पक्षिओं की ?

बच्चे
जानवर की |

टीचर
बूढ़े शेर की या जवान शेर की ?

अरुण
टीचर जानवर भी बूढ़े और जवान होते हैं ?

टीचर
यह कुदरत का नियम हैं |एक दिन  इंसान,जानवर, और पक्षी सभी जवान और बूढ़े होते हैं |बूढ़ा शेर कमज़ोर हो जाता है और अपनी गुफा में बैठकर ही किसी जानवर को खा जाता है |जवान शेर किसी जानवर को मार कर उसका मांस खाता है |

मीतू
मुझे शेर से डर लगता है |

जोजो
( काँपते हुए)उउउऊउउउउउ मुझे भी शेर से डर लगता है |

(कोई बच्चा शेर की आवाज़ निकालता है तो बच्चे और अधिक डर जातें हैं |डरने का नाटक करते हैं)

सिड
टीचर ,खरगोश और कछुए वाली ही सुनायें |


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टीपू
ठीक, खरगोश और कछुए की कहानी सुनाओ |

टीचर
मैने यह कहानी पहले भी सुनाई थी |आज हम इसका नाटक करेंगे |

बच्चे
हाँ,टीचर ठीक हैं |

टीचर
चलो दो लड़के आगे आओ और एक लड़का खरगोश और दूसरा लड़का कछुआ बनेगा |

(बिट्टू और शाम आगे आते हैं |टीचर बिट्टू को खरगोश और शाम को कछुए का मुखोटा पहनाती है और बच्चे हंसने लगते हैं|)

टीचर
अब दोनो इस तरफ खड़े हो जाओ (इशारा करती है)और जब मैं सीटी बजाऊँ तो भागना शुरू करना |यह कहानी जैसे मैने एक दिन सुनाई थी बस वैसे ही करना  है |

(टीचर ने सीटी बजाई  खरगोशऔर कछुए ने दौड़ना शुरू किया बच्चों ने तालियाँ बजानी शुरू की | कोई सीटी बजाने लगा तो कोई अपनी कुर्सी पर उठक बैठक करने लगा |एक दूसरों को धक्का देने लगे खरगोश और कछुआ दोनो थोड़ी- थोड़ी देर बाद पीछे देखतें है और फिर भागने लगते हैं |खरगोश आगे और कछुआ धीरे धीरे चलता है |थोड़ी देर बाद)

खरगोश
यह कछुआ तो धीरे धीरे भागेगा मैं थोड़ी देर झपकी ले लूँ |

(वह सोने का नाटक करता है | एक बच्चा उसकी पूंछ पकड़ने के लिये उठता है|दूसरा उसकी आवाज़ निकालने लगता है |रोश कछुए को धक्का मरता है ताकि वह जल्दी अपने पड़ाव पर पहुंच जाए |)

टीचर
 सब अपनी जगह पर बैठ कर देखो |
(बच्चे बैठ जाते हैं | कछुआ खरगोश से आगे निकल जाता है और बार-बार पीछे मुड़कर देखता है )






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 खरगोश
यह तो आराम की नींद सो रहा है |लेकिन मैं दौड़ता रहूँगा |अगर खरगोश कहीं जाग गया तो मेरे से आगे निकल जायेगा |मैं रुकने वाला नहीं |
 (जैसे ही वह अंतिम पड़ाव पर पहुंचता है कई लड़के तालियाँ बजाते हैं और कई बच्चे खरगोश को मारने दौड़ते हैं |खरगोश उठने का नाटक करता  है )

बिट्टू
टीचर, लड़के मुझे मार रहें हैं | देखिये कहानी में ऐसा ही होता है |मैं तो वैसा ही नाटक कर रहा था |

टीचर
बच्चो खरगोश के लिये तालियाँ बजाओ |

बच्चे
हुर्रे,हुर्रे |

बच्चे
बिट्ट ,तू बाहर हम तुझे मारेंगे |तू क्यों सो गया था |तेरी गलती थी |

बिट्ट
अगर तुम मुझे मारोगे तो मैं कभी भी कोई नाटक नहीं करूंगा |

बच्चे
नाटक करना लेकिन ऐसी गलती कभी नहीं करना |

टीचर
यह उसकी गलती नहीं थी कहानी में ऐसा ही लिखा है |

बच्चे
टीचर,क्या हम कहानी बदल नहीं सकते |

टीचर
नहीं,फिर वह दूसरी कहानी हो जायेगी |कल मैं बंदर और दो बिल्लिओं की कहानी सुनाऊँगी |

(इतने में स्कूल की घंटी बजती है और बच्चे घर जाने की तैयारी करते हैं |)

टीचर
सुनो,कल दादी या नानी को लाना मत भूलना |


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टीपू
अरुण, बाहर चलें  |हमारी दादी और नानी हमे ढूँढ रहीं होंगी |आज बड़ा मज़ा आया |
(सब बच्चे और टीचर जल्दी जल्दी जा रहें हैं)

दृश्य परिवर्तन

INT  (स्कूल का हाल खूब सज़ा हुआ है |सुबह का समय |)
पात्र:
टीचर, बच्चों की दादी और नानी, बच्चे |
बच्चों की दादी और नानी अच्छे कपड़े पहने हुए अपनी अपनी जगह पर बैठी हैं |सब के नाती अथवा पोते भी एक तरफ  बैठे हैं |)

टीचर
(स्टेज पर आती है)

आप सब का स्वागत है | आज हम दादी तथा नानी का दिन मना रहे हैं |हम ने आप के लिये कुछ प्रोग्राम बनाये है |सबसे पहले टीपू और कौशल एक  कविता सुनाएंगे |

(टीपू और कौशल स्टेज पर आते हैं | पहले सब को प्रणाम करते है फिर कविता पढ़ना शुरू करते हैं | सब ताली बजाते हैं)

टीपू
मेरी प्यारी दादी माँ,
कौशल
मेरी प्यारी नानी माँ,
(रुक कर अपनी दादी और नानी को हाथ हिलाते हैं |
टीपू और कौशल
सबसे अच्छी सब से प्यारी,
टीपू और कौशल
सबसे लगती है  न्यारी,
(थोड़ा रुक कर,अपनी दादी की और देखकर)
टीपू
मुझको सड़क पार कराती है,
कौशल
मेरा  हाथ पकड़ कर ले जाती है,
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टीपू
उसके बिना घर है सूना,

कौशल
उसके बिना मुश्किल है जीना |

(सब हंसते हैं)

(सब फिरसे ताली बजाते हैं |टीपू और कौशल स्टेज से नीचे आकर अपनी सीट पर बैठ जाते हैं)

टीचर
अब हम एक खेल खेलेंगे | दादी माँ मेरी  दाईं तरफ   जाएं |नानी माँ मेरी बायीं तरफ जाएं |

(दादी और नानी दोनो तरफ खड़ी हो जाती हैं |कुछ औरतें अपनी  सीट पर ही खड़ी रहती हैं )

टीचर
आप वहां क्यों खड़ी हैं ?

एक औरत
मेरा पोता और नाती दोनो इसी स्कूल में पड़ते हैं |तो मैं दादी भी और नानी भी ?

दूसरी औरत
और मेरा भी |(सब हंसते हैं)

टीचर
तो आप तीसरा ग्रुप बना लीजिये |वहीं खड़े रहिये | आप सब अपनी सीट पर बैठ जाइये |मैं जिससे प्रश्न पूँछू वही जवाब दे |टीपू की दादी आप बताईये आप का पोता दिन में कितने चाकलेट खाता है ?


टीपू की दादी
सच बोलूं तो चार (टीपू उंगली से खाने का  इशारा करता है)|

टीपू
नहीं टीचर, मैं तो केवल एक ही खाता हूँ  |बाकी दादी के लिये रख लेता हूँ |
(सब हंसते हैं)

टीचर
अब नानी की बारी |रोहण की नानीजी आप बताईये, आप का नाती कितने घंटे टी वी देखता है ?
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रोहण की नानी
दो घंटे |

रोहण
टीचर, मैं केवल कार्टून देखता हूँ |अकेला नहीं देखता नानी भी देखती है |(सब हंसते है )

टीचर
अब आखिरी सवाल lदादी नानी से | मीतू की दादी और जोजो की नानी  |आप बताईए जोजो अपने छोटे भाई को मारता है या प्यार करता है |

दादी,नानी
कभी प्यार करता है और कभी मारता है |

जोजो
टीचर ,जब वह मेरी चीज़े लेता है तो मारता हूँ | वह मुझे अपनी चीज़ों को हाथ नहीं लगाने देता |मारूँ नहीं तो क्या करूं
(
सब हंसते हैं)

टीचर
अब हम सवाल जवाब यहीं समाप्त करते हैं | और सब दादी नानी से निवेदन  है कि बाहर पंचतंत्र की कहानियाँ किताब रखी है वे अवश्य ले कर जाएं| इन बच्चों को उसमे से रोज़ एक कहानी सुनाएं |
धन्यवाद |


(सब बच्चे अपने अभिभावकों के साथ बातें करते हुए चले जाते हैं |)

दृश्य परिवर्तन

EXT   (खेल का मैदान | सुबह का समय |)

पात्र:-
खेल का टीचर, बच्चे

(सब बच्चे एक पंक्ति में एक दूसरे को धक्का देते हुये आते हैं | सिड रोहित को ज़ोर से धक्का देता है और रोहित  गिर जाता है और सिड के साथ लड़ने लगता है )



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रोहित
,धक्का क्यों देता है |तेरी मम्मी  ने ठीक से चलना नहीं सिखाया |ठीक से चलना भी नहीं आता  क्या| मैं बाद में देख लूंगा |

(खेल का टीचर सीटी बजाता है )

टीचर
 सब एक लाईन में खड़े रहो | बारी-बारी से एक लड़का बाहर आएगा और  लाईन मे खड़े एक बच्चे को पकड़ने की कोशिश करेगा |वह जिसको पकड़ेगा वह बाहर आकर फिर से दूसरे लड़के को पकड़ने की कोशिश करेगा |इस तरह सब की बारी जायेगी| |लेकिन ध्यान रहे कोई शरारत नहीं करेगा |रवि पहले तुम बाहर आओ|

(रवि बाहर आता है और बारी-बारी से लड़कों को पकड़ने की कोशिश करता है |कोई लड़का नीचे झुक जाता है,कोई आवाजें निकालता है |(जब वह थक जाता है तो नीचे बैठ जाता है)

टीचर
रवि तुम वापिस अपनी जगह पर जाओ और अमन अब तुम आओ |
(रवि अपनी जगह पर चला जाता है औरअमन आता है |आते ही बड़ी तेज़ी से भागता है और शाम को दोनो हाथों से पकड़ कर घुमाने लगता है | )

टीचर
अमन खूब |जाओ |(सब बच्चे ताली बजाते हैं |अमन अपनी जगह पर चला जाता है |)
शिव अब तुम्हारी बारी |

शिव
(बहाना बनाता है क्योंकि वह बहुत मोटा है और धीरे भागता है |कई लड़के उसे पकड़ कर लाइन से बाहर धकेलते हैं और वह रोने लगता है |(रोने का नाटक)
टीचर,मैं नहीं भाग सकता |मेरी टाँग में दर्द है |

टीचर
अच्छा तुम इधर लाइन के बाहर बैठ जाओ |कल अपने डाक्टर से चिठी ले कर आना कि तुम्हारी टाँग में दर्द क्यों है |

बच्चे
अब शिव फ़सेगा|(सब लड़के हॅंसने लगते हैं|घंटी बजती है |सब लड़के एक दूसरे को धक्का देते हु
अपनी क्लास में भाग जाते हैं |)

दृश्य परिवर्तन
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INT      (कैफ़े)
टीपू
अरुण,आजकल क्या करते हो ?

अरुण
मैं अमेरिका में हूँ |थोड़े दिनो के लिये यहाँ आया तो स्कूल के पास से गुज़रा तो lबचपन के दिनो की याद आई तो तेरी भी याद आई |

टीपू
अरुणइसके बाद क्या करेगा ?

अरुण
घर जाऊँगा  |

टीपू
अब घर लेजाने के लिये तेरी नानी आयेगी ?

अरुण
छोड़ यार |अब तो वह भी बहुत बूढ़ी हो गयी है |अब तो मैं ही उसे कहीं ले जाता हूँ |

(दोनो हॅंसने लगते हैं)

समाप्त
स्कूल में बच्चों की हलचल
लेखिका
संतोष गुलाटी
सम्पर्क-९८२०२८१०२१/ 9820281021
Email:toshigulati@gmail.com
स्कूल में बच्चे क्या करते हैं