Monday, May 19, 2014

बाल मनोविज्ञान पर आधारित नाटक-“मम्मी खो गयी”

बाल मनोविज्ञान पर आधारित नाटक-“मम्मी खो गयी”
लेखिका: संतोष गुलाटी
संक्षेप में:
भोलू अपनी मम्मी के साथ बाज़ार में आता है और बिछुड़ जाता है |
उसके मित्र उसको कैसे संभालते है और अंत में उसकी मम्मी कैसे 
मिल जाती है |

पात्र परिचय

भोलू-लड़का, आयु आठ वर्ष,
नेहा-भोलू की मित्र,
रोमा-भोलू की मित्र,
ओम-भोलू का मित्र,
आर्य-भोलू का मित्र,
भोलू की मम्मी-आयु पैंतीस वर्ष,
कई राहगीर
पुलिसमैन

(परदा उठता है |सड़क का दृश्य |कई दुकानें हैं और सामान बेचनेवाले इधर-उधर बैठें हैं |कई लोग आ जा रहें हैं | पुलिसमैन भी चक्कर लगाता रहता है |भोलू का हाथ में एक गेम का डिब्बा पकडे हुए इधर-उधर देखते हुए प्रवेश | स्टेज के बीच में आकर खडा हो जाता है और मम्मी को वहां न देखकर रोने लगता है |)
भोलू-मम्मी,मम्मी |मुझे छोड़कर कहाँ चली गयी ? मम्मी तुम कहाँ हो? (और ज़ोर से रोने लगता है)मुझे कोई गेम नहीं चाहिये|मम्मी,मम्मी |
(नेहा और रोमा का आपस में बातें करते हुए प्रवेश)
(नेहा रुककर) अरे,यह तो भोलू है |भोलू,तुम सड़क पर अकेले क्या कर रहे हो?
रोमा-तुम तो रो रहे हो |किसी ने मारा क्या?
नेहा-लगता है घर का रास्ता भूल गया है |
भोलू-तुम मुझे अँगूठा चूसने वाला बच्चा समझती हो | मेरी मम्मी खो गयी है |
रोमा-मम्मी कैसे खो सकती है? वह तो कितनी बड़ी है |
भोलू-पता नहीं,पर मेरी मम्मी खो गयी है |(रोने लगता है )
नेहा-अच्छा बता,तेरी मम्मी कहाँ खो गयी है ?
भोलू-यह पता होता तो मैं ढूँढ न लेता |
रोमा-तो फिर घर जा |वहीं होगी |चल,हम तुझे तेरे घर छोड़ आते हैं |
भोलू-घर में नहीं हो सकती |
नेहा- क्‍यों |
रोमा-मेरी मम्मी तो घर में ही होती है |खाना बना रही होती है या फिर कुछ काम कर रही होती है |नेहा,तेरी मम्मी कहाँ होती है ?
नेहा-मैं तो जब भी देखती हूँ टी वी या कम्पूटर देख रही होती है या फिर टेलीफोन पर गप्पें लड़ा रही होती है |
भोलू-पर मेरी मम्मी तो मुझे अपने साथ बाज़ार ले कर आई थी |
रोमा-फिर कहाँ गयी ?
भोलू-मुझे यह गेम खरीद कर दी और कहा की तू इधर ठहर मैं अभी आती हूँ|
रोमा-तो इसका मतलब वह जल्दी आ जायेगी |तू पहले रोना बंद कर |नेहा,चल |
(राहगीर उनकी तरफ देखते हैं और चले जाते हैं पुलिसवाला भी देखकर आगे बढ़ जाता है|)
भोलू-लेकिन बहुत देर हो गयी है |
नेहा-कितनी देर?
भोलू-शायद पाँच घंटे |कितने लोग आ जा रहें हैं लेकिन मेरी मम्मी नहीं आ रही (रोता है)
नेहा-रोमा,क्या पाँच घण्टे हो सकते हैं |मम्मी बच्चों कॉ इतनी देरतक सड़कपर अकेला नहीं छोड़ सकती |रोना बंद कर |तू भी एक नंबर का पागल है |
भोलू-तूने मुझे पागल कहा |
नेहा-पागल नहीं तो क्‍या |तू थोड़ी देर मम्मी के बिना नहीं रह सकता |
भोलू-थोड़ी देर की बात कर रही हो? यहाँ तो पाँच घण्टे हो गये हैं |मैं सोच रहा था (ज़ोर से रोने लगता है)
रोमा-क्‍या सोच रहा था?
भोलू-सोच रहा था,सोच रहा था कि किसी डाकू ने मेरी मम्मी को किडनैप न कर लिया हो|उन्होने लाखों रुपये माँगे तो मैं इतने पैसे कहाँ से लाऊँगा? (और ज़ोर से रोता है)वे मेरी मम्मी को मार डालेंगे |(नेहा और रोमा हॅंसने लगती हैं )तुम दोनो हंस रही हो |
नेहा-हँसे नहीं तो क्या |तू भी ऊटपटांग बातें सोचता है |बुद्धू कहीं का |
भोलू-मैं बुद्धू नहीं |बुद्धू तुम दोनो हो |इतना भी नहीं सोच सकती |
नेहा-मैं ऐसी बातें नहीं सोचती | मान ले,अगर तेरी मम्मी को किसी ने किडनैप कर भी लिया हो तो डरने की कोई बात नहीं |हम हैं न तेरी सहायता करने के लिये |
भोलू-वाह,वाह तुम क्या कर लोगी?
(सब थोड़ा इधर-उधर आगे-पीछे चलते रहते हैं)
नेहा-हम बहुत कुछ कर सकती हैं |हम हैं न झाँसी की रानी |हम छुड़वा कर ले आएंगे |
भोलू-लेकिन तुम्हे कुछ अवार्ड नहीं मिलेगा |
नेहा-अवार्ड तो हम तेरी मम्मी से लेंगे |क्यों रोमा |
रोमा-हाँ |
भोलू-तुम्हारी मम्मी कभी खोई नहीं न इसलिये ऐसी बातें करती हो |
रोमा-मम्मी नहीं खो जाती |खो जाते हैं हम बच्चे |
भोलू-लेकिन आज तो मेरी मम्मी खो गयी है | (रोता है |अपने बाल नोचता है)मम्मी |
नेहा-लेकिन बता,तेरी मम्मी तुझे यहीं पर छोड़कर गयी थी ?
भोलू-हाँ,हाँ |
रोमा-नहीं,नहीं,नहीं |मुझे लगता है,तू कुछ सोचते-सोचते इधर-उधर देखते-देखते कहीं दूसरी जगह आ गया है |तेरी मम्मी वहीं तेरा इन्तज़ार कर रही होगी जहाँ उसने तुझे रुकने के लिये कहा था
नेहा-रोमा, तूने ठीक सोचा |भोलू चल उसी दुकान पर जहाँ से यह गेम खरीदी थी |चल |
भोलू-कहाँ?
नेहा-उसी दुकान के बाहर |(भोलू को खींचते हुए)चल न |मम्मी को ढ़ूँढने|
(ओम और आर्य का बातें करते हुए प्रवेश)
ओम-नेहा तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो?
नेहा-भोलू की मम्मी खो गयी है उसको ढूंढ रहे हैं |
ओम- मम्मी खो गयी है यह कैसे हो सकता है ?
आर्य-कहाँ खो गई है?
रोमा- यही तो पता नहीं | बस भोलू रोता जा रहा है |
ओम- भोलू,रोने से मम्मी मिल जायेगी |
नेहा-भोलू तू बता  |
रोमा-चलो,टाइम मत बर्बाद करो |
आर्य-तुम लोग कहाँ जा रहे हो ?
नेहा-भोलू की मम्मी ने किसी दुकान से यह गेम खरीदी और भोलू को वहां रुकने के लिये कहा |पर लगता है भोलू वहां से चलते-चलते कहीं ओरआ गया है |हमसब उसी दुकान पर जा रहें हैं|आओ तुम भी साथ आओ |
(सब चल पड़ते हैं,भोलू आगे-पीछे देखते हुए)
भोलू-अरे वह दुकान कहाँ गयी?
रोमा-मैने पहले ही कहा था |तू मम्मी को कहीं ओर ढूंढ रहा है |
नेहा-वह दुकान कैसी थी ?
भोलू-बहुत बड़ी थी |उसके शोकेस में बहुत सारी चीज़े रखी थीं |
आर्य-वैसी दुकान तो उधर चौराहे पर है |
नेहा-चलो,उधर चलते हैं |अब समझ में आया |तेरी मम्मी नहीं खोयी तू खो गया है|
भोलू-मैं कैसे खो गया हूँ |मैं तो तुम्हारे सामने खड़ा हूँ |
रोमा-मतलब यह कि अब तुम्हारी मम्मी तुझे ढूँढ रही होगी क्योंकि तुम ठीक उस जगह पर नहीं हो जहाँ तुम्हें होना चाहिये था |
भोलू-तो तुम्हारा मतलब कि मैं खो गया हूँ |
ओम-हाँ,तुम खो गये हो|अब तेरी मम्मी रो रही होगी |
भोलू-मेरी मम्मी रो रही होगी?
सब-हाँ |
भोलू-(रोते हुए)मम्मी,मैं खो गया हूँ |मुझे जल्दी ढूढ़ लो |नहीं तो कोई मुझे किडनैप कर लेगा |
सब-रोना बंद करो |
(एक राहगीर का प्रवेश)
राहगीर 1-क्यों क्या हुआ? यह बच्चा क्यों रो रहा है?किसी ने मारा क्या ?
नेहा-नहीं ऐसे ही |
राहगीर 1-घर का रास्ता भूल गया क्या ?
(कुछ राहगीर इकठे हो जाते हैं)
राहगीर 2-पुलिस को बताएं?
आर्य-नहीं,हम ऐसे ही मस्ती कर रहें हैं |
राहगीर 3-कुछ भी हो |रास्ते में मत खड़े रहो |जाओ यहाँ से |(चला जाता है)
आर्य-चलो पुलिस स्टेशन चलते हैं |
भोलू-क्यों,मुझे जेल में बंद करवाने ?
रोमा-नहीं,रिपोर्ट लिखवाने |तुम्हारी मम्मी खो गयी हैं |पुलिस ढूँढ कर ले आयेगी |
ओम-आइडिया अच्छा है |वैसे भी जब कोई खो जाता है,लोग वहीं जा कर रिपोर्ट लिखवाते हैं |फिर टीवी में फोटो आ जायेगी |आपण याना पाहिलांत का ?
भोलू-लेकिन मम्मी की फोटो तो घर में है |घर में लगा है ताला |ताले की चाबी है मम्मी के पास |और मम्मी तो खो गयी है |
ओम-फिर वे तुम्हारी फोटो छाप देंगे कि इस लड़के की मम्मी खो गयी है |जिसको मिले पुलिस स्टेशन पहुँचा दे |
भोलू-मैं पुलिस स्टशन नहीं जोऊंगा |वहां वे लोग मुझे मारेंगे |
आर्य- क्यों  मारेंगे?
भोलू- वे समझेंगे कि|( रोता है i)
आर्य-क्या समझेंगे|
भोलू- वे समझेंगे कि मैं चोर हूँ और तुम मुझे पकड़वाने के लिये लाए हो |
राहगीर 4-क्यों क्या हुआ ?मैं बहुत देर से देख रहा हूँ तुम झगड़ रहे हो ?
रोमा-नहीं,नहीं यह हमारी आपस की बात है |
राहगीर 4-तुम इस लड़के को क्यों सता कर रहे हो ?
रोमा-ऐसा कुछ भी नहीं हम एक खेल खेल रहें हैं |
राहगीर 4-मुझे बताओ मैं कुछ मदद कर सकता हूँ |लेकिन सड़क पर खेलना अच्छा नहीं | मुझे तो दाल में कुछ काला दिखाई देता है | 
रोमा-दाल में कुछ भी काला नहीं |दाल एकदम साफ है |ऐसा कुछ भी नहीं जो आप सोचते हैं | यह लड़का बेईमानी कर रहा था |
राहगीर 4-किसी का भी ऐक्सीडेन्ट हो सकता है | जाओ यहाँ से |
राहगीर 5-चलो, बच्चे तो ऐसे ही खेलते रहते हैं |उनका आपसी झगड़ा होगा |वे अपने आप सुलझा लेंगे |भाई साहिब, चलो |(दोनो राहगीर चले जाते हैं)
ओम-चलो उधर चलकर सोचते है |नहीं तो यहाँ भीड़ इकट्ठा हो जायेगी |
(बच्चे दूसरी तरफ आ जातें है)
रोमा-एक आइडिया | मैं अपनी मम्मी से कहती हूँ कि तुम्हारी फोटो फ़ेसबुक में डाल दे |
नेहा-आइडिया अच्छा है |और तुम्हारी मम्मी मिल जायेगी तो हो जायेगा तुम्हारी फिल्म का द एंड |
भोलू-कौनसी फिल्म ?
नेहा-तुम्हारी यह रोने की फिल्म |
रोमा-अच्छा बता,तेरी मम्मी ने साड़ी पहनी है या सलवार कमीज़ |
भोलू-मुझे याद नहीं |
नेहा- इतनी सी बात याद नहीं |
भोलू-अगर बता दूंगा तो तुम किसी भी औरत को पकड़ कर लाओगी और कहोगी कि ले तेरी मम्मी |
रोमा-ऐसे कैसे हो सकता है |
भोलू-ऐसा ही होता है |मैंने एक नाटक देखा था उसमें ऐसा ही हुआ था |मैं किसी दूसरी औरत को अपनी मम्मी कैसे कह सकता हूँ |
नेहा-चलो,हम भी चलते हैं |यह हमारा समय ऐसे ही बर्बाद कर रहा है | (दोनो जाने लगती है )
भोलू-अरे,मुझे अकेला छोड़कर मत जाओ |
(भोलू की मम्मी का भागते हुए प्रवेश)
मम्मी-तू यहाँ बातें कर रहा है |और मैंने सारा बाज़ार ढूंढ मारा |मेरी तो जान ही निकल गयी थी
भोलू-(मम्मी का हाथ पकड़ कर)मम्मी ,आपकी जान कैसे निकल गयी थी?आप तो ज़िंदा हैं अगर आप न आती तो मैं मरने वाला था|
रोमा-आंटी आप इसे एक थप्पड़ लगाईए |
नेहा-भोलू देख,तेरी मम्मी की आंखे कितनी लाल हो गयी हैं |
ओम-आंटी आप रो रहीं थी |
मम्मी-तो और क्या करती ?
भोलू-मम्मी, आप सचमुच रो रहीं थी(मम्मी के गले लगता है) मैं भी रो रहा था (रोता है)
मम्मी-तू क्यों रो रहा था ?
भोलू-आप खो गयी थीं न इसलिये?
मम्मी-मैं कहाँ खो गयी थी |खो गये थे तुम |
रोमा-आंटी दरअसल आप दोनो ही खो गये थे और दोनो ही रो रहे थे |सब इसी भोलू की लापरवाही के कारण हुआ |
नेहा- हाँ आंटी,न यह अपनी जगह से इधर-उधर जाता और न ही आप परेशान होती |
रोमा- और न हमारा समय बर्बाद करता |चल जा |
सब-भोलू ,अब मम्मी का हाथ ज़ोर से पकड़ |नहीं तो रोएगा (चिढ़ाते हुए) “मम्मी खो गयी , मम्मी खो गई” |
भोलू-(ज़ोर से)हाँ मेरी मम्मी खो गयी थी |

(पर्दा गिरता है)





















Thursday, May 1, 2014

सुखराम का दु:खी परिवार

Natak    
सुखराम का दु:खी परिवार

How Sukhram and his family members learn to keep the environment clean.

पात्र परिचय

सूत्रधार
प्रमोद-सूत्रधार का मित्र |
सुखराम-घर का मालिक |
नेहा-सुखराम की पत्नी |
प्रकाश-सुखराम का बेटा,आयु दस वर्ष |
नीना-सुखराम की बेटी-आयु आठ वर्ष |
बच्चे-मुखौटे पहने हुए मक्खी,मच्छर,कौवे,कुत्ते,तथा बिल्लियाँ |


दृश्य 1
(पर्दा उठता है |सुखराम के घर का दृश्य |स्टेज के दाईं ओर घर के बाहर कचरा पड़ा हुआ है |जिसको मक्खी,मच्छर,कुत्ते,बिल्लियाँ आपस में लड़ते हुए झपट-झपट कर कचरा खाते हुए आवाज़ें कर रहे हैं)
(स्टेज के बायीं ओर से सूत्रधार का प्रवेश)

सूत्रधार-मित्रो नमस्कार |आप देख रहें हैं लाला सुखरामजी का घर |अंदर अच्छा सज़ा हुआ है पर यहाँ-वहां बहुत कचरा पड़ा है | बाहर भी ऐसा ही दृश्य है | लेकिन आप वहां अधिक देर तक रुक नहीं सकते क्योंकि वहां भी ऐसा ही है |(सूत्रधार के पीछे पर्दा गिरता है | सूत्रधार वहीं खड़ा है)
(प्रमोद का प्रवेश)
प्रमोद-भाई हमें भी तो दिखाओ | क्या दृश्य दिखा रहे हो?
सूत्रधार-लाला सुखरामजी के घर का दृश्य |
प्रमोद-ऐसा वहां क्या देखने लायक है?
सूत्रधार-देखने लायक वहां कुछ भी नहीं |मुझ से तो देखा ही नहीं जाता |
प्रमोद-क्या वे आपस में मार पिटाई करते हैं?
सूत्रधार-नहीं |
प्रमोद-तो फिर वे गंदे हैं?
सूत्रधार-नहीं |
प्रमोद-वहां कितने लोग हैं?
सूत्रधार-केवल चार |
प्रमोद-कौन-कौन हैं?
सूत्रधार-लाला सुखराम,नेहा उनकी पत्नी,प्रकाश एक दस वर्ष का बेटा और नीना एक आठ वर्ष की बेटी
प्रमोद-छोटा परिवार सुखी परिवार |
सूत्रधार-सुखी परिवार नहीं दु:खी परिवार |
प्रमोद-हमें भी ले चलो उनके घर | हम भी तो देखें वहां क्या हो रहा है |
सूत्रधार-आप वहां अधिक देर तक ठहर नहीं पायेंगे |जैसे घर के बाहर कचरा है वैसे ही घर के अंदर |
प्रमोद-कोई सफाई करने वाला नहीं आता |
सूत्रधार ऐसी बात नहीं |वे सब एक से एक बढ़कर आलसी हैं |
प्रमोद-तो इसीलिये दुखी रहते होंगे |अरे भाई तो ले चलो या बातें ही करते रहोगे |
सूत्रधार- चलिये |
(दोनो स्टेज से थोड़ा हटकर खड़ें हो जाते हैं |)

दृश्य दूसरा

 (पर्दा हटता है |सुखराम पलंग पर लेटे समाचार पत्र पढ़ रहें हैं |कुछ पन्ने इधर-उधर गिरे पड़े हैं उनकी पत्नी नेहा एक तरफ बैठकर सब्ज़ियाँ काट रही है |और कचरा इधर-उधर फेंकती जा रही है |जैसे ही लाला सुखराम के हाथ से एक पन्ना नीचे गिरता है नेहा ज़ोर से बोलती है)
नेहा-यह क्या कर रहें हैं?पेपर ठीक से पढ़िए |बैठ कर पढ़िए न |
सुखराम-मैं बैठ कर नहीं पढ़ सकता |
नेहा-क्यों?
सुखराम –मेरे पेट में दर्द हो रहा है |कबसे कह रहा हूँ कि कोई चूरन की गोली दे दो |
नेहा-ज़रा थोड़ी देर रुको | मैं क्या करूं |मेरे पाँव में भी दर्द हो रहा है |
सुखराम- अच्छा नहीं देना तो मत दो |बहाने मत बनाओ |
नेहा-आपको लगता है मैं बहाना बना रही हूँ |
सुखराम-तो फिर दर्द का बहाना क्यों बना रही हो?
नेहा-कल मेरा पाँव केले के छिलके पर फिसल गया था |शुक्र है भगवान का जो मैं गिरते-गिरते बच गई |
सुखराम-यह जो सब्‍ज़ी का कचरा है न इसे बाहर फ़ेंक दो |घर को साफ़ रखना चाहिये |कोई आ गया तो |पहले ही हमारी तबीयत ठीक नहीं रहती |कभी पेट खराब तो कभी मलेरिया कभी डेंगु |
नेहा- मैं तो वही करती हूँ |बस अभी फेंक आती हूँ |(आधा कचरा हाथ में लेकर लंगड़ा कर चलती हुई कचरा खिड़की से बाहर फेंक देती है और कुछ वहीं इधर-उधर  फेंक  देती है |) लो हो गयी सफाई |
(कचरा प्रमोद पर गिरता है)
सूत्रधार-(प्रमोद से)भाईसाहब ज़रा बच के |लो हो गया आपका स्वागत |
 प्रमोद–(अपना सिर झाड़ते हुए) बड़े बदतमीज़ हैं ये लोग |
सूत्रधार -बदतमीज़ क्या बेअकल भी |चलिये ज़रा उधर खड़े होकर देखते हैं |
(सूत्रधार और प्रमोद स्टेज के दूसरी तरफ खड़े होकर देखते हैं)

(प्रकाश का प्रवेश)
प्रकाश-माँ, जल्दी कुछ खाने को दो |बड़े ज़ोरो से भूख लगी है |
नेहा-जाओ, रसोई में केले रखे हैं खा लो |
( प्रकाश बाहर जाकर केला लेकर आता है |केला छीलता है और केले का छिलका खिड़की से बाहर फेंकता है | नेहा अभी भी सब्ज़ी काट रही है)
सूत्रधार -भाईसाहब,ज़रा संभल के |देखिये, खिड़की में से कुछ और आया |
प्रमोद-केले का छिलका|
सूत्रधार-ये संतरे के छिलके ,प्लास्टिक की थैलियाँ,कागज़ के टुकड़े भी इनके ही घर के हैं |
प्रमोद-देखो,सूखी डबल रोटी,बासी भाजी,बदबू वाले लड्डू | देखिये भों-भों करता कुत्ता, भिन्-भिन् करते मच्छर|
 सूत्रधार-म्याऊं-म्याऊं करती बिल्ली,भिन्-भिन् करती मक्खियाँ कितना मज़ा ले रहे हैं |
प्रकाश-माँ पेट नहीं भरा |कुछ ओर दो |
नेहा-जाओ,बिस्किट खा लो |
(प्रकाश बाहरजाता है और बिस्किट का पैकेट लेकर आता है)
प्रकाश-पापा खोल दो |
सुखराम-मम्मी से कहो |मेरी तबियत ठीक नहीं |
नेहा-इतना भी नहीं कर सकते |ला| (नेहा पैकेट खोलती है और प्रकाश को देती है)|
प्रकाश-(बिस्किट खाता है और उसका खाली पैकेट पास में ही फेंक देता है |सुखराम उसकी तरफ देखता है |
( नीना का हाथ में नकली बिल्ली पकड़े हुए प्रवेश)
नीना-भईया,म्याऊँ,म्याऊँ |
प्रकाश-मुझे तंग मत करो|बिस्किट खाने दो |
नीना-मम्मी,म्याऊँ,म्याऊँ|(नेपथ्य में बिल्लीओं की आवाज़ |नीना डर जाती है और अपनी बिल्ली खिड़की में से नीचे फेंक देती है|)यह तो बोलने लगी |
सूत्रधार-देखो ,यहाँ छप्पर फाड़कर क्या-क्या आता है |
प्रमोद-भाईसाहिब,आप भी बचिए | नहीं तो कौआ आप के सिर पर भी चोंच मार देगा |
सूत्रधार-और ढेर सारे कौए  इकट्ठा हो जायेंगे |
प्रमोद-और आपका सिर गॅंजा कर देंगे |
सूत्रधार-देखो वहां क्या हो रहा है |
(एक मच्छर प्रकाश की टांग पर काटता है तथा दूसरा  मच्छर उसकी गरदन पर |(प्रकाश खुजली करता है |)
प्रकाश-मम्मी,,देखो कितने बड़े मच्छर ने काटा है |कुछ करो |
सुखराम-मैं हर रोज़ कहता हूँ कुछ करो |
नेहा-मैं अकेली क्या कर सकती हूँ|घर को साफ़-सुथरा तो रखती हूँ और मैं कुछ नहीं कर सकती |
प्रमोद-चलो हम ही इनका कुछ इलाज सोचें |
सूत्रधार-सोचो |
प्रमोद-यह खिड़की बंद करवा दे |न होगा बांस न बजेगी बांसुरी |
सूत्रधार-हवा के लिये खिड़की का होना बहुत ज़रूरी है |(बिल्ली को हाथ मे लेकर)चलो,हम ही उनके लिये कुछ करते हैं |(सूत्रधार और प्रमोद स्टेज से बाहर जाते है)
(बाहर से घंटी की आवाज़ |सब एक दूसरे की तरफ देखते हैं| फिर से घंटी बजती है |कोई देखने नहीं जाता)
सुखराम-सब को घंटी की आवाज़ सुनाई दे रही है? कोई जाकर देखो कौन आया है |
नेहा-बेटा जाकर देखो |
प्रकाश-मैं क्यों जाऊँ|नीना को बोलो |
नेहा-नीना छोटी है |
प्रकाश-तो मैं कौनसा बड़ा हूँ |
सुखराम-तुम खुद क्यों नहीं जाती |(घंटी की आवाज़)
नेहा-जाती हूँ |कौन है? दरवाज़ा खुला है |अंदर आ जाईए|
(सूत्रधार और प्रमोद का प्रवेश)
सूत्रधार-नमस्कार |आप सब यहाँ हैं |
सुखराम-(लेटे-लेटे)बताईये |क्या काम है ?
सूत्रधार(हाथ में खिलोना पकड़े हुए )-काम तो कुछ नहीं |यह खिलोना आपकी खिड़की से गिरा था आपकी बच्ची का लगता है |शायद बच्चों ने लड़ते-झगड़ते बाहर फेंक दिया था |कोई बाहर लेने नहीं आया तो बस इसे देने आया था |कचरे से गंदा हो गया है |
नीना-यह तो मेरी पूसी है |
नेहा-(खिलौना लेते हुए)धन्यवाद |बच्ची है न |ऐसी ही चीज़े फेंकती रहती है |
सूत्रधार -क्या बात है ? लालाजी लेटे हैं | आप लंगडा कर चल रहीं हैं | (प्रकाश को खुजली करते देखकर)आपका बेटा खुजला  रहा है |सब बहुत  दुखी लग रहे हैं |
नेहा-हाँ |बात तो कुछ ऐसी ही है |इनके पेट में दर्द हो रहा है |यहाँ मच्छर तंग करते हैं |मेरा तो केले के छिलके पर पांव फिसल गया था |कोई हमारी मदद नहीं करता |समझ में नहीं आता क्या करें |
सूत्रधार-अगर आप इज़ाज़त दें तो हम आपकी कुछ मदद कर सकते हैं |
(सुखराम बैठ जाता है)
सब-जल्दी बताएं|
सूत्रधार-आप एक डिब्बा लाईये|
प्रकाश-लगता है कुछ जादू दिखायेंगे |
नीना-वह जो रुमाल मे से चीज़े निकालते हैं |प्रकाश,तुम्हे क्या चाहिये मांग लो |
सुखराम-नेहा ,जाओ डिब्बा लेकर आओ |
नेहा-एक था |वह कल मैने बाहर फेंक दिया |
सूत्रधार-कोई बात नहीं |प्रमोद,जाओ एक डिब्बा और प्लास्टिक की थैली लेकर आओ |(प्रमोद बाहर जाता है और एक डिब्बा और प्लास्टिक की थैली लेकर आता है)
प्रमोद-लो |
सुखराम-लगता है आप चंदा इकट्ठा कर रहे हैं |
सूत्रधार -ऐसा कुछ भी नहीं है |हम तो आपको दु:ख से छुटकारा दिलाने आए हैं |आप जो कचरा बाहर और इधर-उधर फेंकती हैं उसे थैली में डालकर इस डिब्बे में फेंकिए|
प्रकाश-फिर इस कचरे का क्या करें ?
प्रमोद-आपके यहाँ जमादारिन आती होगी |
सूत्रधार-बस उसे दे दीजिये|
प्रकाश-उस से क्या होगा ?
सूत्रधार-उससे आपके बाहर का और घर का वातावरण साफ़ रहेगा | मक्खी,मच्छर जो आपको तंग कर रहे थे उनसे छुटकारा मिल जायेगा |
सुखराम- बच्चो,कल से ऐसा ही करना |
सूत्रधार- कल से क्यों |अभी से क्यों नहीं |(नेहा से)यह लीजिये डिब्‍बा और फिर सूखा कचरा इस डिब्बे में डालिये और गीला पहले प्लास्टिक की थैली में और फिर इस डिब्बे में |
सुखराम-चलो,शुरू हो जाओ |कचरा इस डिब्बे में डालते हैं |
नेहा-(सब्ज़ी के छिलके प्लास्टिक की थैली में डालने लगती है)
प्रमोद-(प्रकाश से) बेटा,तुम भी कचरा डिब्बे में डालो |
प्रकाश-मैं नहीं डालूंगा |
सुखराम-क्यों ?
प्रकाश-यह नौकरों का काम हैं |मैं किसी का नौकर नहीं |
नेहा-बेटा,मैं क्या घर की नौकरानी हूँ |तुमने यह जो काग़ज़ फेंके हैं वह कौन उठाएगा |
(सुखराम से)आप भी तो मदद करिये |आप को देखकर बच्चे भी कचरा उठायेगे |आप सब इसके ज़िम्मेदार हैं |
सूत्रधार-बहनजी ठीक ही तो कह रही हैं |
प्रमोद-इसका कचरा यहीँ रहने दो |वातावरण शुद्ध रखना सब की ज़िम्‍मेदारी है |मच्छर भी तुम्हे ही काट रहे थे |देखो अभीतक खुजला रहा है |
प्रकाश-सारी अंकल | मैं गलत सोच रहा था |
(सभी सदस्य कचरा उठाकर डिब्बे में डालते हैं |
सुखराम-(चारों ओर देखकर |हाथ जोड़ते हुए)भाईसाहब,धन्यवाद |आपने हमारी आंखे खोल दी | अब लगता है जैसे हम किसी दूसरे के घर में आ गये हैं |
सूत्रधार-और बाहर की सफाई भी तो ज़रूरी है | वह कौन करेगा ?
सुखराम-चलो,वहां भी कर लेते हैं |
(सब बाहर आ जाते हैं)
सूत्रधार-कचरा इकट्ठा करने और डालने के लिये डिब्‍बा लाईये |
प्रकाश-झाड़ू और डिब्‍बा |
नीना-देखिये वह हम लेकर आते  हैं |
सूत्रधार-बच्चे होशियार हो गये हैं |
सुखराम-सबसे पहले मैं कचरा उधर से इकट्ठा करता हूँ |लाओ मुझे झाड़ू दो |
प्रकाश-पापा मैं कचरा इकट्ठा करता हूँ |
सुखराम-मैं सबसे बड़ा हूँ |इसकी शुरूयात मैं ही करूंगा |
प्रकाश-ठीक है |यह लीजिये झाड़ू |(झाड़ू देता है)
(बारी-बारी से सब झाडू लगाते हैं |और कचरा डिब्बे में डालते जाते हैं | मक्खी,मच्छर,कौवा,बिल्ली कुत्ता धीरे-धीरे स्टेज से एक कोने में चले जाते हैं) |
सूत्रधार-अब सब कैसा दिख रहा है?
प्रमोद-बहुत अच्छा |
सुखराम-नेहा,हम कहाँ हैं ?
नेहा-अपने घर के बाहर |
सुखराम-मुझे यकीन नहीं होता |कहीं यह सपना तो नहीं |
नेहा-नहीं |यह देखिये |अपने घर का नाम |
(स्टेज के बाहर से मक्खी,मच्छर,कौवा कुत्ता,बिल्ली की आवाज़ें)
कुत्ता-यह क्या हो रहा है |
बिल्ली-मुझे भी समझ में नहीं आ रहा |
कुत्ता-यहाँ तो हमारे लिये कुछ भी नहीं बच्चा |हम तो भूखे मर जाएंगे |
बिल्ली-चलो,हम कोई दूसरा दरवाज़ा ढूँढते हैं |
मक्खी-रुको,मैं भी तुम्हारे साथ आती हूँ |
मच्छर-ठहरो-मुझे भी साथ ले लो |
कौवा-मुझे छोड़कर क्यों जा रहे हो |
सब सिसकते हुए बाहर चले जाते हैं |
सूत्रधार-अब सचमुच सुखराम का दु:खी परिवार सुखी हो गया |

 (पर्दा गिरता है)