Thursday, May 1, 2014

सुखराम का दु:खी परिवार

Natak    
सुखराम का दु:खी परिवार

How Sukhram and his family members learn to keep the environment clean.

पात्र परिचय

सूत्रधार
प्रमोद-सूत्रधार का मित्र |
सुखराम-घर का मालिक |
नेहा-सुखराम की पत्नी |
प्रकाश-सुखराम का बेटा,आयु दस वर्ष |
नीना-सुखराम की बेटी-आयु आठ वर्ष |
बच्चे-मुखौटे पहने हुए मक्खी,मच्छर,कौवे,कुत्ते,तथा बिल्लियाँ |


दृश्य 1
(पर्दा उठता है |सुखराम के घर का दृश्य |स्टेज के दाईं ओर घर के बाहर कचरा पड़ा हुआ है |जिसको मक्खी,मच्छर,कुत्ते,बिल्लियाँ आपस में लड़ते हुए झपट-झपट कर कचरा खाते हुए आवाज़ें कर रहे हैं)
(स्टेज के बायीं ओर से सूत्रधार का प्रवेश)

सूत्रधार-मित्रो नमस्कार |आप देख रहें हैं लाला सुखरामजी का घर |अंदर अच्छा सज़ा हुआ है पर यहाँ-वहां बहुत कचरा पड़ा है | बाहर भी ऐसा ही दृश्य है | लेकिन आप वहां अधिक देर तक रुक नहीं सकते क्योंकि वहां भी ऐसा ही है |(सूत्रधार के पीछे पर्दा गिरता है | सूत्रधार वहीं खड़ा है)
(प्रमोद का प्रवेश)
प्रमोद-भाई हमें भी तो दिखाओ | क्या दृश्य दिखा रहे हो?
सूत्रधार-लाला सुखरामजी के घर का दृश्य |
प्रमोद-ऐसा वहां क्या देखने लायक है?
सूत्रधार-देखने लायक वहां कुछ भी नहीं |मुझ से तो देखा ही नहीं जाता |
प्रमोद-क्या वे आपस में मार पिटाई करते हैं?
सूत्रधार-नहीं |
प्रमोद-तो फिर वे गंदे हैं?
सूत्रधार-नहीं |
प्रमोद-वहां कितने लोग हैं?
सूत्रधार-केवल चार |
प्रमोद-कौन-कौन हैं?
सूत्रधार-लाला सुखराम,नेहा उनकी पत्नी,प्रकाश एक दस वर्ष का बेटा और नीना एक आठ वर्ष की बेटी
प्रमोद-छोटा परिवार सुखी परिवार |
सूत्रधार-सुखी परिवार नहीं दु:खी परिवार |
प्रमोद-हमें भी ले चलो उनके घर | हम भी तो देखें वहां क्या हो रहा है |
सूत्रधार-आप वहां अधिक देर तक ठहर नहीं पायेंगे |जैसे घर के बाहर कचरा है वैसे ही घर के अंदर |
प्रमोद-कोई सफाई करने वाला नहीं आता |
सूत्रधार ऐसी बात नहीं |वे सब एक से एक बढ़कर आलसी हैं |
प्रमोद-तो इसीलिये दुखी रहते होंगे |अरे भाई तो ले चलो या बातें ही करते रहोगे |
सूत्रधार- चलिये |
(दोनो स्टेज से थोड़ा हटकर खड़ें हो जाते हैं |)

दृश्य दूसरा

 (पर्दा हटता है |सुखराम पलंग पर लेटे समाचार पत्र पढ़ रहें हैं |कुछ पन्ने इधर-उधर गिरे पड़े हैं उनकी पत्नी नेहा एक तरफ बैठकर सब्ज़ियाँ काट रही है |और कचरा इधर-उधर फेंकती जा रही है |जैसे ही लाला सुखराम के हाथ से एक पन्ना नीचे गिरता है नेहा ज़ोर से बोलती है)
नेहा-यह क्या कर रहें हैं?पेपर ठीक से पढ़िए |बैठ कर पढ़िए न |
सुखराम-मैं बैठ कर नहीं पढ़ सकता |
नेहा-क्यों?
सुखराम –मेरे पेट में दर्द हो रहा है |कबसे कह रहा हूँ कि कोई चूरन की गोली दे दो |
नेहा-ज़रा थोड़ी देर रुको | मैं क्या करूं |मेरे पाँव में भी दर्द हो रहा है |
सुखराम- अच्छा नहीं देना तो मत दो |बहाने मत बनाओ |
नेहा-आपको लगता है मैं बहाना बना रही हूँ |
सुखराम-तो फिर दर्द का बहाना क्यों बना रही हो?
नेहा-कल मेरा पाँव केले के छिलके पर फिसल गया था |शुक्र है भगवान का जो मैं गिरते-गिरते बच गई |
सुखराम-यह जो सब्‍ज़ी का कचरा है न इसे बाहर फ़ेंक दो |घर को साफ़ रखना चाहिये |कोई आ गया तो |पहले ही हमारी तबीयत ठीक नहीं रहती |कभी पेट खराब तो कभी मलेरिया कभी डेंगु |
नेहा- मैं तो वही करती हूँ |बस अभी फेंक आती हूँ |(आधा कचरा हाथ में लेकर लंगड़ा कर चलती हुई कचरा खिड़की से बाहर फेंक देती है और कुछ वहीं इधर-उधर  फेंक  देती है |) लो हो गयी सफाई |
(कचरा प्रमोद पर गिरता है)
सूत्रधार-(प्रमोद से)भाईसाहब ज़रा बच के |लो हो गया आपका स्वागत |
 प्रमोद–(अपना सिर झाड़ते हुए) बड़े बदतमीज़ हैं ये लोग |
सूत्रधार -बदतमीज़ क्या बेअकल भी |चलिये ज़रा उधर खड़े होकर देखते हैं |
(सूत्रधार और प्रमोद स्टेज के दूसरी तरफ खड़े होकर देखते हैं)

(प्रकाश का प्रवेश)
प्रकाश-माँ, जल्दी कुछ खाने को दो |बड़े ज़ोरो से भूख लगी है |
नेहा-जाओ, रसोई में केले रखे हैं खा लो |
( प्रकाश बाहर जाकर केला लेकर आता है |केला छीलता है और केले का छिलका खिड़की से बाहर फेंकता है | नेहा अभी भी सब्ज़ी काट रही है)
सूत्रधार -भाईसाहब,ज़रा संभल के |देखिये, खिड़की में से कुछ और आया |
प्रमोद-केले का छिलका|
सूत्रधार-ये संतरे के छिलके ,प्लास्टिक की थैलियाँ,कागज़ के टुकड़े भी इनके ही घर के हैं |
प्रमोद-देखो,सूखी डबल रोटी,बासी भाजी,बदबू वाले लड्डू | देखिये भों-भों करता कुत्ता, भिन्-भिन् करते मच्छर|
 सूत्रधार-म्याऊं-म्याऊं करती बिल्ली,भिन्-भिन् करती मक्खियाँ कितना मज़ा ले रहे हैं |
प्रकाश-माँ पेट नहीं भरा |कुछ ओर दो |
नेहा-जाओ,बिस्किट खा लो |
(प्रकाश बाहरजाता है और बिस्किट का पैकेट लेकर आता है)
प्रकाश-पापा खोल दो |
सुखराम-मम्मी से कहो |मेरी तबियत ठीक नहीं |
नेहा-इतना भी नहीं कर सकते |ला| (नेहा पैकेट खोलती है और प्रकाश को देती है)|
प्रकाश-(बिस्किट खाता है और उसका खाली पैकेट पास में ही फेंक देता है |सुखराम उसकी तरफ देखता है |
( नीना का हाथ में नकली बिल्ली पकड़े हुए प्रवेश)
नीना-भईया,म्याऊँ,म्याऊँ |
प्रकाश-मुझे तंग मत करो|बिस्किट खाने दो |
नीना-मम्मी,म्याऊँ,म्याऊँ|(नेपथ्य में बिल्लीओं की आवाज़ |नीना डर जाती है और अपनी बिल्ली खिड़की में से नीचे फेंक देती है|)यह तो बोलने लगी |
सूत्रधार-देखो ,यहाँ छप्पर फाड़कर क्या-क्या आता है |
प्रमोद-भाईसाहिब,आप भी बचिए | नहीं तो कौआ आप के सिर पर भी चोंच मार देगा |
सूत्रधार-और ढेर सारे कौए  इकट्ठा हो जायेंगे |
प्रमोद-और आपका सिर गॅंजा कर देंगे |
सूत्रधार-देखो वहां क्या हो रहा है |
(एक मच्छर प्रकाश की टांग पर काटता है तथा दूसरा  मच्छर उसकी गरदन पर |(प्रकाश खुजली करता है |)
प्रकाश-मम्मी,,देखो कितने बड़े मच्छर ने काटा है |कुछ करो |
सुखराम-मैं हर रोज़ कहता हूँ कुछ करो |
नेहा-मैं अकेली क्या कर सकती हूँ|घर को साफ़-सुथरा तो रखती हूँ और मैं कुछ नहीं कर सकती |
प्रमोद-चलो हम ही इनका कुछ इलाज सोचें |
सूत्रधार-सोचो |
प्रमोद-यह खिड़की बंद करवा दे |न होगा बांस न बजेगी बांसुरी |
सूत्रधार-हवा के लिये खिड़की का होना बहुत ज़रूरी है |(बिल्ली को हाथ मे लेकर)चलो,हम ही उनके लिये कुछ करते हैं |(सूत्रधार और प्रमोद स्टेज से बाहर जाते है)
(बाहर से घंटी की आवाज़ |सब एक दूसरे की तरफ देखते हैं| फिर से घंटी बजती है |कोई देखने नहीं जाता)
सुखराम-सब को घंटी की आवाज़ सुनाई दे रही है? कोई जाकर देखो कौन आया है |
नेहा-बेटा जाकर देखो |
प्रकाश-मैं क्यों जाऊँ|नीना को बोलो |
नेहा-नीना छोटी है |
प्रकाश-तो मैं कौनसा बड़ा हूँ |
सुखराम-तुम खुद क्यों नहीं जाती |(घंटी की आवाज़)
नेहा-जाती हूँ |कौन है? दरवाज़ा खुला है |अंदर आ जाईए|
(सूत्रधार और प्रमोद का प्रवेश)
सूत्रधार-नमस्कार |आप सब यहाँ हैं |
सुखराम-(लेटे-लेटे)बताईये |क्या काम है ?
सूत्रधार(हाथ में खिलोना पकड़े हुए )-काम तो कुछ नहीं |यह खिलोना आपकी खिड़की से गिरा था आपकी बच्ची का लगता है |शायद बच्चों ने लड़ते-झगड़ते बाहर फेंक दिया था |कोई बाहर लेने नहीं आया तो बस इसे देने आया था |कचरे से गंदा हो गया है |
नीना-यह तो मेरी पूसी है |
नेहा-(खिलौना लेते हुए)धन्यवाद |बच्ची है न |ऐसी ही चीज़े फेंकती रहती है |
सूत्रधार -क्या बात है ? लालाजी लेटे हैं | आप लंगडा कर चल रहीं हैं | (प्रकाश को खुजली करते देखकर)आपका बेटा खुजला  रहा है |सब बहुत  दुखी लग रहे हैं |
नेहा-हाँ |बात तो कुछ ऐसी ही है |इनके पेट में दर्द हो रहा है |यहाँ मच्छर तंग करते हैं |मेरा तो केले के छिलके पर पांव फिसल गया था |कोई हमारी मदद नहीं करता |समझ में नहीं आता क्या करें |
सूत्रधार-अगर आप इज़ाज़त दें तो हम आपकी कुछ मदद कर सकते हैं |
(सुखराम बैठ जाता है)
सब-जल्दी बताएं|
सूत्रधार-आप एक डिब्बा लाईये|
प्रकाश-लगता है कुछ जादू दिखायेंगे |
नीना-वह जो रुमाल मे से चीज़े निकालते हैं |प्रकाश,तुम्हे क्या चाहिये मांग लो |
सुखराम-नेहा ,जाओ डिब्बा लेकर आओ |
नेहा-एक था |वह कल मैने बाहर फेंक दिया |
सूत्रधार-कोई बात नहीं |प्रमोद,जाओ एक डिब्बा और प्लास्टिक की थैली लेकर आओ |(प्रमोद बाहर जाता है और एक डिब्बा और प्लास्टिक की थैली लेकर आता है)
प्रमोद-लो |
सुखराम-लगता है आप चंदा इकट्ठा कर रहे हैं |
सूत्रधार -ऐसा कुछ भी नहीं है |हम तो आपको दु:ख से छुटकारा दिलाने आए हैं |आप जो कचरा बाहर और इधर-उधर फेंकती हैं उसे थैली में डालकर इस डिब्बे में फेंकिए|
प्रकाश-फिर इस कचरे का क्या करें ?
प्रमोद-आपके यहाँ जमादारिन आती होगी |
सूत्रधार-बस उसे दे दीजिये|
प्रकाश-उस से क्या होगा ?
सूत्रधार-उससे आपके बाहर का और घर का वातावरण साफ़ रहेगा | मक्खी,मच्छर जो आपको तंग कर रहे थे उनसे छुटकारा मिल जायेगा |
सुखराम- बच्चो,कल से ऐसा ही करना |
सूत्रधार- कल से क्यों |अभी से क्यों नहीं |(नेहा से)यह लीजिये डिब्‍बा और फिर सूखा कचरा इस डिब्बे में डालिये और गीला पहले प्लास्टिक की थैली में और फिर इस डिब्बे में |
सुखराम-चलो,शुरू हो जाओ |कचरा इस डिब्बे में डालते हैं |
नेहा-(सब्ज़ी के छिलके प्लास्टिक की थैली में डालने लगती है)
प्रमोद-(प्रकाश से) बेटा,तुम भी कचरा डिब्बे में डालो |
प्रकाश-मैं नहीं डालूंगा |
सुखराम-क्यों ?
प्रकाश-यह नौकरों का काम हैं |मैं किसी का नौकर नहीं |
नेहा-बेटा,मैं क्या घर की नौकरानी हूँ |तुमने यह जो काग़ज़ फेंके हैं वह कौन उठाएगा |
(सुखराम से)आप भी तो मदद करिये |आप को देखकर बच्चे भी कचरा उठायेगे |आप सब इसके ज़िम्मेदार हैं |
सूत्रधार-बहनजी ठीक ही तो कह रही हैं |
प्रमोद-इसका कचरा यहीँ रहने दो |वातावरण शुद्ध रखना सब की ज़िम्‍मेदारी है |मच्छर भी तुम्हे ही काट रहे थे |देखो अभीतक खुजला रहा है |
प्रकाश-सारी अंकल | मैं गलत सोच रहा था |
(सभी सदस्य कचरा उठाकर डिब्बे में डालते हैं |
सुखराम-(चारों ओर देखकर |हाथ जोड़ते हुए)भाईसाहब,धन्यवाद |आपने हमारी आंखे खोल दी | अब लगता है जैसे हम किसी दूसरे के घर में आ गये हैं |
सूत्रधार-और बाहर की सफाई भी तो ज़रूरी है | वह कौन करेगा ?
सुखराम-चलो,वहां भी कर लेते हैं |
(सब बाहर आ जाते हैं)
सूत्रधार-कचरा इकट्ठा करने और डालने के लिये डिब्‍बा लाईये |
प्रकाश-झाड़ू और डिब्‍बा |
नीना-देखिये वह हम लेकर आते  हैं |
सूत्रधार-बच्चे होशियार हो गये हैं |
सुखराम-सबसे पहले मैं कचरा उधर से इकट्ठा करता हूँ |लाओ मुझे झाड़ू दो |
प्रकाश-पापा मैं कचरा इकट्ठा करता हूँ |
सुखराम-मैं सबसे बड़ा हूँ |इसकी शुरूयात मैं ही करूंगा |
प्रकाश-ठीक है |यह लीजिये झाड़ू |(झाड़ू देता है)
(बारी-बारी से सब झाडू लगाते हैं |और कचरा डिब्बे में डालते जाते हैं | मक्खी,मच्छर,कौवा,बिल्ली कुत्ता धीरे-धीरे स्टेज से एक कोने में चले जाते हैं) |
सूत्रधार-अब सब कैसा दिख रहा है?
प्रमोद-बहुत अच्छा |
सुखराम-नेहा,हम कहाँ हैं ?
नेहा-अपने घर के बाहर |
सुखराम-मुझे यकीन नहीं होता |कहीं यह सपना तो नहीं |
नेहा-नहीं |यह देखिये |अपने घर का नाम |
(स्टेज के बाहर से मक्खी,मच्छर,कौवा कुत्ता,बिल्ली की आवाज़ें)
कुत्ता-यह क्या हो रहा है |
बिल्ली-मुझे भी समझ में नहीं आ रहा |
कुत्ता-यहाँ तो हमारे लिये कुछ भी नहीं बच्चा |हम तो भूखे मर जाएंगे |
बिल्ली-चलो,हम कोई दूसरा दरवाज़ा ढूँढते हैं |
मक्खी-रुको,मैं भी तुम्हारे साथ आती हूँ |
मच्छर-ठहरो-मुझे भी साथ ले लो |
कौवा-मुझे छोड़कर क्यों जा रहे हो |
सब सिसकते हुए बाहर चले जाते हैं |
सूत्रधार-अब सचमुच सुखराम का दु:खी परिवार सुखी हो गया |

 (पर्दा गिरता है)





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