Tuesday, December 30, 2014

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी एक सफ़र है
ज़िन्दगी धूप-छाँव है
कदम बढ़ाते जाना है
जीवन सफ़ल बनाना है
ज़िन्दगी में ज्ञान है
अँधेरा दूर भगाना है
भटक नहीं जाना है 1
 मुस्कराने का नाम है ज़िन्दगी
कुछ पल की है ज़िन्दगी
बोझ बन जाए ज़िन्दगी
काम करने का नाम है ज़िन्दगी
बिगड़ी को संवाँर कर देखो ज़िदगी-1
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गरम हवा का झोंका आए
ज़िन्दगी उथल-पुथल हो जाए
 पत्ता पत्ता बिखर जाए
कौन उसे संभाल पाए
जो सबको मिलाए वही इंसान है
जो ज़िन्दगी संवार दे वही भगवान है ।।
जि़न्दगी जीने का कोई मकसद होना चाहिए
अपने आप में विश्वास होना चाहिए
जि़न्दगी नहीं आँसू बहाने के लिए
जि़न्दगी है हँसने हँसाने के लि
जिन्दगी की हर हार कुछ सिखाती है
अंधरे में रोशनी की किरण नज़र आती है -1
जिन्दगी जी कर देखो,खुशियाँ  लुटा कर देखो,
सब को हँसा कर देखो,जीवन सफल बना कर देखो
जिन्दगी एक सपना है ,कल जो था सपना हो गया ,
आनेवाला कल भी सपना है,सपना साकार कर देखो
जिन्दगी वरदान है,इसको पहचान लो,
कहाँ है जाना इतना ही बस जान लो

ज़िन्दगी से कोई शिकायत न करो
जैसे  भी हो ज़िन्दगी खुशी से जिया करो
दूसरों की खुश ज़िन्दगी से अपना दिल जलाया न करो
अपनी खुश ज़िन्दगी के लिए किसी को सताया न करो
अपनी खुश ज़िन्दगी के लिए किसी को रूलाया न करो
अपनी ज़िन्दगी के दुखड़े हर एक को बताया न करो ।।
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जी लो जी भर कर यह ज़िन्दगी
उतार-चढ़ाव से भरी है ज़िन्दगी
चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात
किसने देखा कल क्या होंगे हालात
दोस्त हैं लाखों पर ज़िन्दगी में तन्हाई है
मत बहाओ आँसू वरना ज़िन्दगी में हार है ।।
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ज़िन्दगी है इक तराना
हँसते गाते समय बिताना
बिखरे काँटों को हटाता चल
फूल की खुशबू फैलाता चल
लोग मारे चाहे ताना
ज़िन्दगी बन जाए अफ़साना ।।
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ज़िन्दगी में रिशते भी क्या चीज़ है
जैसे मिले अपनी तकदीर है
बिगड़ जाए तो नरक बना दे
सँवर जाए तो स्वर्ग बना दे
बेगाने कभी खज़ाना भर देते हैं
अपने कभी खज़ाना लूट ले जाते हैं ।।
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ज़िन्दगी से नफ़रत हो गयी है
जीना सीखो ओरों के लिए
सीमा पर लड़ रहे जवान
उनकी ज़िन्दगी है ओरों के लिए
फिर देखो चाँदनी रातें
पाओगे अपने पास कितने दीवाने ।।
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 समुद्र में आए तूफान को थमने दो
लहरों के उतर-चढ़ाव को ठहरने दो
उचित समय पर नौका पार हो जाएगी
ज़िन्दगी शान्ति से गुज़र जाएगी ।।
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जब बुढ़ापे में ज़िन्दगी दुशवार हो जाए
पत्नि, मित्रों का विछोह भी तड़पा जाए
बचपन का माँ का दुलार याद जाए
बीति जवानी का नशा फिर लौट आए
अच्छा पड़ोसी कोई दिलासा दे जाए
कोई  बने अपना तो ज़िन्दगी गुलज़ार हो जाए ।।
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Monday, December 29, 2014

आप क्यों भाग रहे हैं ?

आप क्यों  भाग रहे हैं ?
आजकल जिसको देखो भागता हुआ नज़र आता है।विशेष कर बड़े शहरों में। कोई कारण नज़र नहीं आता । न कोई जंगली जानवर जैसे कोई शेर या कुत्ते किसी के पीछे भाग रहे हैं । न कोई आकाश में बादल दिखाई देते हैं कि बारिश से भीगने के डर से भागना पड़ रहा है । न कोई बंदूक की गोलियों के चलने की आवाज़ आ रही होती है । अगर कोई नहीं भागता तो मतलब है कि वह कोई परदेसी है ।
वैसे भागना सेहत के लिए अच्छा ही होता है। छोटे शहरों में बच्चे स्कूल के खेल के मैदान में भागते दिखाई देते हैं । या फिर किसी दौड़ प्रतियोगिताओं में भागते दिखाई देते हैं । औरतों से पूछने  की आवश्यकता ही नहीं कि वे क्यों भाग रहीं हैं क्योंकि दौड़े बिना उनका दिन का काम समाप्त ही नहीं हो सकता । सुबह बच्चों को स्कूल के लिए भागते देखना एक आम दृश्य है । कोई बच्चा हाथ में जुराब और जूते का जोड़ा लेकर भागते हुए दिखाई देता है । कोई
व्यक्ति भागता है कि यह उसका रोज़  का नियम है। किसी स्थूल शरीर वाले को देखकर आपको हँसी भी आ जाएगी कि उसकी तोंद कैसे हिल रही होती है । वैसे किसी पर हँसना अच्छा नहीं होता । कहीं आपकी तोंद भी न निकल आए । कोई गार्डन में अपना वज़न कम करने के लिए भागता है तो कोई दूसरों के पीछे-पीछे भागता दिखाई देता है है जैसे कि वह उसकी जासूसी कर रहा हो । कभी-कभी इस भाग-दौड़ में लोग टकरा भी जाते हैं और बात गाली-गलौच तक पहुँच जाती है । किसी का सामान बिखर जाता है । फिर हाथापाई भी हो  जाती है। भाई ज़रा बच के ।
आजकल दौड़ना एक फ़ैशन भी हो गया है । जिसको आप मैराथन के नाम से जानते होंगे । जिसमें कई वयोवृद्ध व्यक्ति भी भाग लेते हैं। आफ़िस में जब बॅास किसी को बुलाता है
तो वह भागने लगता है कि बॅास ने पता नहीं क्यों बुलाया है। वह जल्दी से बॅास के कमरे
में जाकर सलाम करता है और पूछता है । अगर कोई बुरा कारण नहीं होता तो भागते हुए
आकर सब को खुश ख़बरी सुनाता है कि सब कुछ ठीक-ठाक है । कभी-कभी किसी अन्य व्यक्ति को भागते हुए देखकर दूसरे लोग भी भागने लगते हैं । शायद कोई कारण होगा और दूसरे लोग भी भागने के लिए उत्साहित हो जाते है । जब पता लगता है कि कि वह बिना वजह ही भाग रहा था फिर अपने आप को बेवकूफ कहने लगता है या फिर अपने आप पर हँसने लगता है ।
चलिए किसी से पूछ ही लेते हैं वह क्यों भाग रहा है या उसके भागने का कारण क्या है ।
रुकिए ।
भाई साहब, ज़रा रुकिए ।
आपने मुझे कुछ कहा ?
हाँ ।
क्या ?
बताईए, आप क्यों भाग रहे है ?
बताईए, मुझे अपने भागने का कारण बताईए ।
आपको इससे क्या लेना देना ।
सब लोग भागते हुए दिखाई दे रहे हैं । इसलिए कारण जानना चाहता हूँ । क्या मुझे भी भागना चाहिए ?
पता नहीं । मैं तो आफ़िस जा रहा हूँ । समय पर पहुँच जाऊँ इस लिए भाग रहा हूँ । देखिए, आपने मुझे रोक दिया । अब मेरी रोज़ की निश्चित बस और ट्रेन चली गई । अब मैं आफ़िस देरी से जाऊँगा । मेरा बॅास मुझे डाँटेगा । और कुछ मेरे साथी मुझ पर हँसेगे और कुछ मुझ पर तरस खाएँगे । मेरा मूड खराब हो जाएगा जिसकी वजह से मैं काम ठीकसे नहीं कर पाऊँगा । और मेरा बॅास फिरसे मुझे डाँटेगा और मेरा मूड ओर खराब हो जाएगा । घर जाकर पत्नि से लड़ाई होगी और मेरा मूड खराब होने के कारण बच्चे भी पास नहीं आएँगे । कोई खाना भी ठीक से नहीं खाएगा । पत्नि डार्लिग कहकर नहीं बुलाएगी जिसकी वजह से रात को नींद नहीं आएगी और फिर नीद की दवाई लेनी पड़ेगी । सुबह पत्नि ने डार्लिंग कहकर बुलाया तो मूड ठीक हो जाएगा । अब आपने जाना कि मुझे रोककर आपने मेरा कितना समय बर्बाद कर दिया और मुझे कितना नुकसान उठाना पड़ेगा । अच्छा, अब मैं जाऊँ ?  “
जाइए, जाइए । भाई साहब, सॅारी । धन्यवाद । अब आप आफ़िस जाइए । मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं । भगवान करे कि आपका बॅास भी देरी से आए ।
ठीक है । आपको भागने की ज़रूरत हो तो आप भी अवशय भागिए लेकिन बिना वजह मत भागिए । आपकी सेहत खराब न हो जाए । या फिर दर्शक आपको पागल न समझ लें।
                                                            
संतोष गुलाटी
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