Sunday, March 22, 2015

दादाजी और दादीजी


दादाजी और दादीजी

हमको लगते प्यारेजी

रोज़ सवेरे सैर को जाते

और जाते मंदिरजी

दादा हमको पाठ पढ़ाते

दादी सुनाती कहानीजी

दादी है दुबली  पतली

दादा हमारे मोटेजी

हम जब शोर मचाएँ

दादा हमको छड़ी दिखाएँ

दादा कहते पकड़ो कान

कभी न करना बुरा काम

अच्छे  दादा प्यारे दादा

अच्छी दादी प्यारी  दादी ।

No comments:

Post a Comment