Sunday, March 22, 2015

यदि मेरे पंख होते


मैं अपने मन का राजा होता

जहां चाहता उड़कर चला जाता

कोई मुझे रोक न पाता

समुद्र को लाँघ विदेश पहुँच जाता

झटसे अपने घर लौट आता

न ज़रूरत हेलाकाप्टर की

न ज़रूरत किसी वीसा की

न कोई सड़क न कोई सीमा

न कोई नोट न कोई बीमा

बर्फ से ढका हिमालय मेरे नीचे

मैं ऊपर बाकी सब कुछ नीचे

जहाँ चाहूँ उड़ता फिरू मैं

सारी दुनिया की सैर करूँ मैं

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