Wednesday, July 20, 2011

Sent to “”teamanu@anubhuti-hindi.org   “” on 04/07/11
एकता
जोड़ सके जो सब को उसका नाम है एकता,
इसीसे मिलती है दुनिया में सफलता.
एक- एक फूल से बनती है माला,
एक- एक धागे से बनती है दुशाला .
घर बनता है एक-एक ईंट से ,
घोंसला बनता है एक-एक तिनके से.
एक- एक फूल से खिल जाती  है बगिया,
एक-एक बूँद से बन जाती है नदिया .
मुट्ठी में जो शक्ति है वह उँगलियों में नहीं ,
रस्सी में जो ताकत है वह वह धागे में नहीं.
देश की ताकत जनता में है ,
भिन्न भिन्न भाषाओं में नहीं ,
लाखों चले जब  साथ-साथ,
कोई कर सकता वार नहीं.
मिटा दो भेद रंगों का इसमें प्यार नहीं,
मिटा दो भेद धर्मों का इसमें शान नहीं.
सब का खून लाल है प्यार जगाओ सब में,
सब के लिए  प्रकाश है एक जैसा सूरज और चाँद में .
मिटें  सीमाएं देश की बने  एक परिवार ,
फिर देखो एकता का चमत्कार.**********


शेर जंगल का राजा है
शेर जंगल का राजा है,  जंगली  और  भयानक  है,
जिधर  भी  जाता है ,बड़ा  आतंक फैलाता है.१
सामने इसके कोई न आये, देख ले तो छिप जाए,
अकेले ही रहता है, बड़ा आतंकवादी है.२
इससे किसी को प्यार नहीं , किसी को लगाव नहीं ,
किसी के काम आता नहीं , कोई पास बैठाता नहीं.३
गुफा में छिप जाता है ,सूरज ढले बाहर आता है,
जो  दिखे उसे खा जाता है ,तीखे दाँतों से चबा जाता है.४
जब भी सभा बुलाता है, जोर से दहाड़ता है,
बैठकर हुक्म चलाता है, औरों को बेवकूफ बनाता है .५
जंगल में घूमने जाता है, बच्चों के आगे चलता है ,
शिकार पकड़ता है,आधा खा कर बाकी छोड़ देता है.६
पिंजरे में फँस जाता है, सर्कस में करतब दिखाता है,
जोर से दहाड़ता है , बड़ा आतंक फैलाता है. ७
जब बूड़ा हो जाता है, घास भी नहीं खाता है,
गुफा में बैठा रहता है, जो पास आये चालाकी से खा जाता है.8
इसकी कई कहानियाँ  हैं , चूहा इसे बचाता है ,
खरगोश बेवकूफ बनाता है , झूठा बीमार बन जाता है.९
शक्तिशाली पर अकेला है, शरीर भारी  तेज़ दोड़ता है ,
पंजे तीखे सुंदर गर्दन हैं, जंगल बचाओ इसका नारा है.10 शेर जंगल का राजा है -------
SANTOSH GULATI''S POEMs
Monday, June 27, 2011    पक्षिओं का मेला
आओ देखें पक्षिओं  का  मेला है, छोटे बड़े रंग- बिरंबे पंखों का मेला है.
कांव-कांव करता कौआ आया सब का दादा, पहन कर कोट काला  बांतें करे ज्यादा ,
एक आँख से काना समझे बड़ा सयाना , लोमड़ी को देख कर भूल जाय रोटी खाना ,
चूं-चूं करती चिडिया आयी सब की नानी,मटकती -मटकती ओड़ चुनरिया धानी ,
इधर -उधर फुदकती रहती बनती बड़ी सयानी ,खिचडी पका कर खा जाती फिर चिल्लाती रानी,
गुटर -गूं करता कबूतर आया बिना  पूछं वाला,पगड़ी सिर पर  बाँध कर कबूतरी साथ लाया,
बना घोंसला खिड़की पर बच्चों के संग आया, बिल्ली को देख कर आँखों को दबाया ,
कवैक-कवैक करती आयी बतख दूर से शोर मचाती ,पीली चोंच लाल पैर कीड़े खाती तैरती इठलाती ,
छोड़ कहीं न अपने बच्चे पीछे है भगाती, मैं भी नाचूं में भी गाऊँ पहला नंबर है पाती ,
ऊँचे-ऊँचे राजहंस चलते-चलते झुंडों  में आये ,उड़ते -उड़ते सारस सफ़ेद रंगों में छाए ,
ताज पहन कर मुर्गा बैठा तोते ने बजाया बाजा,मछली चबाता बगुला आया ,मोर ने नाच नचाया ,
बड़ी बातूनी मैना आयी ,कोयल ने मीठी तान सुनाई ,
चिक- चिक चीक तीतर बटेर का कहना , दोनों लड़े आपस में सब को खूब सताना ,
कर दिया हंगामा खूब शोर मचाया, कठफोड़वे ने चोंच मार कर सब को दौडाया ,
क्या हुआ क्या हुआ कोई समझ ना पाया, कहाँ जाएँ सब का मन घबराया,
सब बोलें अपनी बोली इतना हो गया शोर ,ख़तम हो गया मेला सब दोडें घर की ओर.
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पिंजरे  का तोता
न जाने कितने वर्ष बीत गए, रहता हूँ इस पिंजरे में ,
क्या पूरब क्या पश्चिम ,क्या उत्तर क्या दक्षिण,
क्या दिन क्या रात, क्या सुबह और  क्या शाम,
 सूरज, चाँद, सितारे न जाने कहाँ चले गए .
कैसे पर्बत ,कैसी नदियाँ , कैसे बाग़ बगीचे,
 कैसा होता है आकाश, कैसी होती है आज़ादी ,
किस  से पूंछु किस को लिख भेजूं पाती,
किस काम के ये पंख मुझे दे दिए ? .
सुनता हूँ चिडिओं की चीं-चीं, कौए की कांव-कांव ,
कोयल की कुहू -कुहू, कबूतर की गुटर गूं ,
कौन होतें हैं मित्र मेरे ,अपने न जाने कहाँ खो  गए.
यह ठीक है खाना पीना नहीं पड़ता ढूंढना ,
आराम ही आराम है बस जिन्दगी में,
सुख चैन का क्या करूं, जो जीवन नहीं है मेरा अपना,
कोई खोल दे इस पिंजरे को ,
पहुँच जाऊं जहां हो कोई मेरा अपना .
पहचानूंगा कैसे कौन अपना कौन पराया ,
हाँ सोच-सोच यही समझ में आया ,
जिसकी सूरत-मूरत होगी मेरे जैसी, मेरे जैसी चाल- ढाल , मुझे देखते ही बढाएगा अपना प्यार. *****
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मेरा शेर खो गया    
 नन्हा चुन्नू बैठ अकेला देख रहा नभ में बादल का मेला ,

काले सफ़ेद जानवर हैं आते ,न जाने कहाँ से आते कहाँ हैं जाते,

वह मेरा शेर वह मेरा घोड़ा , हाय इनको लगा है कोड़ा ,

चुन्नू ने उनको हाथ हिलाया ,"नीचे आओ "उन्हें बुलाया ,

बिजली कड़की बादल गरजा ,चुन्नू डरा की शेर गरजा,

यह शेर इधर आ रहा है ,शायद मुझे बुला रहा है,

"आओ चुन्नू मुझ पर बैठो ,डरो नहीं अकड़ कर बैठो "',

"यह मुझे जंगल की सैर करायगा ,? या  जीवित ही खा जाएगा ?,

अंदर से मम्मी बोली, "चुन्नू बेटा, क्या करता है ? बैठा है लेटा,

दूध यहाँ कब से पड़ा है, तू सुनता नहीं कहाँ है ? ,

चुन्नू बोला ,"मम्मी मैं हूँ यहाँ ,आओ दिखलाऊं शेर वहां,

वह नीचे आ रहा है ,मुझे अपना मित्र बना रहा है ",

मम्मी घबराई सी आयी ,शेर कहीं नहीं पड़ता दिखाई,

चुन्नू की उंगली बादल की ओर,अरे ! कहाँ गया ? ले गया चोर ?

चुन्नू रोया "मेरा शेर खो  गया,"मम्मी ला दो ,मेरा शेर खो गया,

नहीं पीया दूध ,नहीं खाया खाना ,रोते -रोते सो गया "शेर पास जाना ",

कौन लाये शेर बड़ा ख़तरा है ,मम्मी न समझी क्या लफड़ा है ,

कहाँ का शेर कौन ले गया,किससे पुछु क्या जादू टोना हो गया ?

चिडिया चहकी हुआ सवेरा ,चुन्नू जागते बोला "शेर मेरा "

नहीं चाहिए हाथी घोड़ा ,वे भागे जब लागे कोड़ा ,

भागा बाहर ताका नभ में , वही बादल फिरते थे नभ में ,

हुई कड़कड़ बिजली चमकी ,मानो शेर की घंटी ठनकी ,

हाथी- हथिनी ,घोड़ा, बन्दर,कहाँ रखूंगा घर के अंदर ,

छोटा बड़ा बादल आया ,फिर पूँछ हिलाता शेर आया

चुन्नू दोड़ा घर के अंदर ,उछला- कूदा जैसे बंदर ,

बाँध कर रस्सी से रखूंगा ,अब कहीं नहीं जाएगा उससे पूछूगा ,

मम्मी से वह रस्सी लाया ,शेर दिखा नहीं वह फिर चिल्लाया ,

मम्मी ने आ कर समझाया ,कहीं नहीं शेर तू बादल देख भरमाया ......

        

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