Wednesday, July 20, 2011


08/07/11
आओ खेंलें खेल
आओ खेंलें खेल ,  हम बन जाएँ रेल,  हम बन जाएँ रेल,
छुक-छुक करती आई रेल, कू- कू करती आई रेल, रुक गयी है रेल,
कितनी सुंदर है रेल, कितनी बड़िया है रेल, बिजली से चलती है रेल,
अपना अपना झोला उठाओ, अंदर आ कर बैठ जाओ , छूट न जाएँ कहीं रेल,
बबलू ने है सीटी बजाई ,पपलू ने हरी झंडी दिखाई , करो नहीं देर ,
भागी-भागी नीना आई, साथ में अपनी गुड़िया लाई ,राजू करें खेल,
 कालू बना है चाय वाला,  बिट्टू बना समोसेवाला, खोलो अपनी जेब,
बज गयी सीटी जल्दी करो,  छूट न जाए चढ़ो- चढ़ो, चल पड़ी है रेल,
रीना ने है सीट जमाई , पिंकी ने की खूब लड़ाई , रुकवा दी उसने रेल,
एक लुटेरा डाकू आया, उसने सब को डराया, बिल्लू ने उसको मारी गुलेल,
एक टिकिट चेकर आया, सब ने अपना टिकिट दिखाया, चलती जाए रेल,
स्टेशन आया जल्दी करो , अपना झोला ले कर उतरो , रुकी हुई है रेल,
आओ खेलें खेल , हम बन जाएँ रेल, हम बन जाएं रेल,
कितनी अच्छी थी रेल,  बोलो बाय- बाय रेल,  हम बनेंगें फिर से  रेल.*******
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चिड़िया घर की रेल चली
रेल चली भाई रेल चली,   चिड़िया घर की रेल चली ,
आगे बैठे बन्दर मामा ,पीछे उनकी दुल्हन जी ,
तीतर, मोर, पपीहा बैठे, इनको जाना दिल्ली जी,
शेर शेरनी सिग्नल देंवें , भागो रेल ना छूटे जी,
हाथी -हथिनी चाय पिलायें, और गरम पकोड़े जी,
ऊंट- ऊंटनी भागते आये ,हाए,उनको जाना जयपुर जी,
भालू दादा टिकिट भूल गए, छूटी उनकी रेल जी.....
रेल चली भाई रेल चली ..*****
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वर्षा
ऋतुओं की रानी वर्षा रानी,
हरदम करती मनमानी,
गर्मी को है दूर भगाती,
सूखी धरती को है नहलाती,
सूखे पेड़ हैं  हरे हो जाते,
कुएं तालाब पानी से भर जाते,
काले बादल  छा जाते गगन  में
बरसाती छाते  आ जाते घरों में
जब यह अपना रूप दिखाती,
ऑफिस स्कूल बंद करवाती,
कारें ठंडी,गाड़ियां रुक्वाती,
सब को घर के अंदर बिठाती,
सड़कों को है नदी बनाती,
झीलों को है समुद्र बनाती,
समुद्र किनारे मछुओं की नाव,
घर में तैरे बच्चों की नाव,
न कोई काम न कोई धंधा,
बेघरों के लिए होता  इकट्ठा चन्दा,
यह कैसी रानी कैसा हाल,
मुंबई को करती बेहाल. ********


मेरा शेर खो गया

 नन्हा चुन्नू बैठ अकेला देख रहा नभ में बादल का मेला ,काले सफ़ेद जानवर हैं आते ,न जाने कहाँ से आते कहाँ हैं जाते, वह मेरा शेर वह मेरा घोड़ा , हाय इनको लगा है कोड़ा ,चुन्नू ने उनको हाथ हिलाया ,"नीचे आओ "उन्हें बुलाया ,बिजली कड़की बादल गरजा ,चुन्नू डरा की शेर गरजा,यह शेर इधर आ रहा है ,शायद मुझे बुला रहा है, "आओ चुन्नू मुझ पर बैठो ,डरो नहीं अकड़ कर बैठो "',"यह मुझे जंगल की सैर करायगा ,? या  जीवित ही खा जाएगा ?,अंदर से मम्मी बोली, "चुन्नू बेटा, क्या करता है ? बैठा है लेटा,दूध यहाँ कब से पड़ा है, तू सुनता नहीं कहाँ है ? ,चुन्नू बोला ,"मम्मी मैं हूँ यहाँ ,आओ दिखलाऊं शेर वहां,वह नीचे आ रहा है ,मुझे अपना मित्र बना रहा है ",मम्मी घबराई सी आयी ,शेर कहीं नहीं पड़ता दिखाई, चुन्नू की उंगली बादल की ओर,अरे ! कहाँ गया ? ले गया चोर ?चुन्नू रोया "मेरा शेर खो  गया,"मम्मी ला दो ,मेरा शेर खो गया, नहीं पीया दूध ,नहीं खाया खाना ,रोते -रोते सो गया "शेर पास जाना ",कौन लाये शेर बड़ा ख़तरा है ,मम्मी न समझी क्या लफड़ा है ,कहाँ का शेर कौन ले गया,किससे पुछु क्या जादू टोना हो गया ?चिडिया चहकी हुआ सवेरा ,चुन्नू जागते बोला "शेर मेरा "नहीं चाहिए हाथी घोड़ा ,वे भागे जब लागे कोड़ा ,भागा बाहर ताका नभ में , वही बादल फिरते थे नभ में ,हुई कड़कड़ बिजली चमकी ,मानो शेर की घंटी ठनकी ,हाथी- हथिनी ,घोड़ा, बन्दर,कहाँ रखूंगा घर के अंदर ,छोटा बड़ा बादल आया ,फिर पूँछ हिलाता शेर आयाचुन्नू दोड़ा घर के अंदर ,उछला- कूदा जैसे बंदर ,बाँध कर रस्सी से रखूंगा ,अब कहीं नहीं जाएगा उससे पूछूगा ,मम्मी से वह रस्सी लाया ,शेर दिखा नहीं वह फिर चिल्लाया ,मम्मी ने आ कर समझाया ,कहीं नहीं शेर तू बादल देख भरमाया ......
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