Friday, January 31, 2014

'माँ को नमन'

'माँ को नमन'

यह जीवन का कड़वा सच है
सब को संसार छोड़ कर जाना है
मेरी माँ को भी छोड़ कर जाना पड़ा
मुझे सूनापन  सहना पड़ा
उसकी मुलायम गोदी की याद आती है
उसकी हर बात याद आती है
उसकी अवाज़ कानों में गूँजती है
मन नहीं मानता कि वह अब नहीं है
मैंने माँ को अच्छी तरह समझा है
उसकी सहनशीलता को परखा है
कभी- कभी उसको तड़पते देखा है
उसके बिना जीवन अधूरा लगता है
उसके लाड-प्यार में जीवन बिताया है
पीपल की घनी छाया को पाया है
जो संस्कार उसने दिये हैं
उनको ज़रूर निभाना है
उसको कभी दुखाया भी होगा
शायद उसको रूलाया भी होगा
उसने मुझे क्षमा भी किया होगा
मेरा मार्ग दर्शन भी  किया होगा
इसी लिए मुझे माँ से बहुत प्यार है
उसको भुला पाना अति कठिन है
मुझे  उसकी हर सज़ा स्वीकार है
मेरा माँ को शत शत नमन है |










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