मैं कब खेलूंगी ? पढूंगी
नम्रता एक दस वर्ष की लड़की जिसे उसकी माँ नम्मो कह कर बुलाती है , अपना बचपन छोड़ कर एक चलती फिरती काम करने वाली मशीन बन चुकी है . सुबह सात बजे उसकी माँ उसे नीम दास के घर छोड़ जाती है और शाम को उसे वापिस ले जाती है . नम्मो को इतना पता है कि उसे पहनने के लिए अच्छे कपड़े और भरपेट खाना मिलता है . लेकिन वह इससे प्रसन्न नहीं है . क्योंकि वह खुले आकाश में तितलियों की तरह उड़ना चाहती है . चिडिओं की तरह फुदकना चाहती है . गेंद को ऊपर नीचे उछाल कर अपनी हमउम्र की लड़कियों के साथ खेलना चाहती है . वह अपनी जेब में एक छोटीसी गुडिया अवश्य रखती है ताकि जब भी समय मिलेगा गुडिया का खेल खेलेगी . यह एक प्राकृतिक गुण है कि नारी के भीतर बचपन से ही मातृत्व की इच्छा होती है .
एक दिन की बात जब वह बर्तन साफ़ कर रही थी तो एक कटोरी को जोर से घिसती जा रही थी और कह रही थी “ऐ कटोरी , तू बार-बार गन्दी हो जाती है . तुझे चमकाते - दमकाते तो मेरे हाथ कितने खुरदरे हो गए हैं ”. कटोरी मानो उत्तर दे रही थी “मैं क्या करूं? घर में मुझे सभी चाहते है . नन्ही पिंकी तो दूध ,पानी हमेशा मुझ में ही पीती है .नम्मो सोच में पड़ गयी कि निर्जीव वस्तु को सभी कितना चाहते हैं उसे तो उसकी माँ भी प्यार नहीं करत
बर्तनों का काम अभी समाप्त नहीं हुआ कि सेठानी आई और चिल्लाई “ ऐ लड़की तू किससे बातें कर रही है ? नम्मो ने कहा -“लड़की नहीं मेरा नाम नम्मो है “सेठानी बोली -“बातें कम किया कर . देख , पिंकी ने फर्श पर दूध गिरा दिया है . जल्दी से साफ़ कर .नम्मो बर्तन छोड़कर कपडा ले कर आई और फर्श साफ़ करने लगी पिंकी दूर से देख कर हँसने लगी और टी . वी पर सुना गाना “ दूध दूध वंडरफुल दूध ” गाने लगी और नम्मोको चिड़ाने लगी . नम्मो की आँखे गीली हो गयी कि यहाँ दूध की नदी बह रहीऔर उसके घर में चाय भी बिना दूध के पीनी पड़ती है .इतने में सेठानी फिर गरजी ”ऐ मरी, कितना समय लगाती है .जल्दी हाथ चला . खाना तो ठूंस -ठूंस कर खाती है . जिस काम को करने लगती है वहीँ चिपक जाती है .उठ, पिंकी को बाहर घुमा ला . यह ले उसका रुमाल . उसको जूते पहना ले जाना और देखना उसे अकेली मत छोड़ना . इसको कुछ हुआ तो तेरा गला दबा दूंगी . नम्मो अपने पैरों में फटी चप्पल पहन कर और जेब में गुड़िया ले कर पिंकी को नज़दीक के बगीचे में ले गयी .
बगीचे में पिंकी को अकेला छोड़कर स्वयं वहां दूसरे बच्चो k साथ खेलने में लग गयी जिस पर उसकी माँ ने उसे खूब पीटा कि अगर पिंकी कहीं गिर जाती तो उसकी नौकरी चली जाती और उसे भरपेट खाना नहीं मिलता था . लेकिन नम्मो अपना बचपन कैसे भुला सकती थी .बाग़ में आने जाने वाले बच्चो से बातें करती रहती थी .
छोटू जो चाय देने का काम करता था उस को कहती “ ऐ छोटू आज किसको चाय पिलाने जा रहा है ? गोपा जो एक फैक्टरी में काम करता है उसको कहती , “ ऐ गोपा , तू सुबह कितना गोरा दिखता है . जब फैक्टरी से लौटता है तो कौन सा पाऊडर लगा कर आता है कि कालू बन कर लौटता है ? और जोर से हंस पड़ती . गोपा को गुस्सा आता और वह उसे मारने दौड़ता तो नम्मो इधर -उधर भाग जाती . बैलून वाला घसीटा आता तो कहती “ऐ, घीसू , तेरे बैलून फूल कर गोल गप्पे बन गए हैं . तू कब गोल मटोल बनेगा ?लेकिन वह जब स्कूल से लौटते बच्चों को देखती तो थोड़ी देर के लिए विचारों में खो जाती और अपनी प्यारी गुड़िया को हाथ में ले कर रो पड़ती . “मेरी प्यारी गुड़िया , हम दोनों कब स्कूल जायेंगे और मैं तेरे साथ कब खेलूंगी . लगता है तुझे मैं हाथ में पकड़े हुए ही पकड़े हुए ही बूढ़ी हो जाउंगी “..............................
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Posted by santosh at 12:50
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