रेल चली भाई रेल चली,
चिड़िया घर की रेल चली ,
आगे बैठे बन्दर मामा , पीछे उनकी दुल्हन जी ,
तीतर, मोर, पपीहा बैठे, इनको जाना दिल्ली जी,
शेर शेरनी सिग्नल देंवें , भागो रेल ना छूटे जी,
हाथी-हथिनी चाय पिलायें, और गरम पकोड़े जी,
ऊंट- ऊंटनी भागते आये, हाए ! उनको जाना जयपुर जी,
भालू दादा टिकिट भूल गए, छूटी उनकी रेल जी.....
रेल चली भाई रेल चली
..*****
No comments:
Post a Comment