दादाजी और दादीजी
हमको लगते प्यारेजी
रोज़ सवेरे सैर को जाते
और जाते मंदिरजी
दादा हमको पाठ पढ़ाते
दादी सुनाती कहानीजी
दादी है दुबली पतली
दादा हमारे मोटेजी
हम जब शोर मचाएँ
दादा हमको छड़ी दिखाएँ
दादा कहते पकड़ो कान
कभी न करना बुरा काम
अच्छे दादा प्यारे दादा
अच्छी दादी प्यारी दादी
। ।
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