रिटायर्ड होने के बाद--संतोष गुलाटी
जब मै रिटायर्ड हो जाउँगा
कहीं खुशियाँ होंगी
कहीं मातम होगा
कई लोग खुश होंगे
कि उनकी पदोन्नति हो जाएगी
कई दुखी होंगे
उनको मेरी बिदाई के लिए
उपहार के लिए पैसे देने पड़ेंगे
जिनको काम में मेरी सहायता मिलती थी
उनका चेहरा मुरझाया हुआ दिखाई देगा
मेरी विदाई के समय
कई लोग मगरमच्छ के आँसू बहाएँगे
मैं धीरे-धीरे कदम बढ़ाता
हाथों में फूलगुच्छ और उपहार पकड़े हुए
घर लौट आउँगा
घर के सदस्य भी
कोई खुश होगा कोई उदास
पत्नी खुश होगी कि अब मुझे कुछ काम नहीं होगा
रसोई में उसकी सहायता करूँगा
उसको अब जल्दी नहीं उठना पड़ेगा
आराम से सुबह की चाय पीएगी
क्योंकि मैं अब “जल्दी करो” का
शोर नहीं मचाउँगा
वह भी समाचार पत्र आराम से पढ़ेगी
प्रतिदिन सब्ज़ी खरीदनो मुझे ही बाज़ार जाना पड़ेगा
जगह-जगह भाव पूछकर
खरीदारी करनी होगी
नहीं तो पत्नि की डाँट पड़ेगी
खैर कुछ भी होगा पत्नि हाथ पकड़ कर सैर करने जाएगी
पड़ोसी हमको देखकर हैरान हो जाएँगे
यह सूरज कहाँ से निकला ऐसा सोचेगें
आराम से टीवी देख पाउँगा
अपना समय अपने तरीके से बिताउँगा
बेटा और बहू सोचेंगे
उनको भी मेरी सहायता मिल जाएगी
बच्चों की देखभाल मुझ पर सौंप कर मज़े करेंगे
घर का दरवाज़ा मुझे ही खोलना पड़ेगा
क्योंकि अब सारा दिन मुझे कुछ काम तो नहीं होगा
बच्चों को स्कूल छोड़ना और वापिस लाना
मेरा काम हो जाएगा
मित्र भी कम हो जाएँगे
जो मिलेगा दूरसे हाय कहकर चला जाएगा
समाज में सम्मान भी कम हो जाएगा
उनको मैं अब इतना चुस्त नहीं लगूँगा
हालांकि मैं ऐसा कुछ नहीं होने दूँगा
क्योंकि मैने भी अपने भविष्य के बारे में सोच लिया है
ऩई नौकरी तलाश कर लूँगा
अपना रूतबा बिगड़ने नहीं दूँगा
मेरे इस निर्णय से कोई खुश हो या नाराज़
मैं सबको दिखा दूँगा
रिटायर होने के बाद नई ज़िंदगी शुरु होती है
मेरे निर्णय से कईयों को निराशा होगी
किसीकी योजनाओं पर पानी फिर जाएगा
लेकिन मैं आशावादी हूँ
अपना जीवन निर्रथक नहीं होने दूँगा ।।
--संतोष गुलाटी
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