पुनःनिर्माण
हरा-भरा
पेड़ देखा
चिड़ियों का जोड़ा देखा
कभी फुदकते इधर
कभी चहकते उधर
तिनका-तिनका लेकर आते
छोटासा घोंसला बनाते
चूँ-चूँ करके आवाज़ लगाते
बारी-बारी से घर बनाते
वहां हुए उनके अंडे चार
अण्डों में था उनका प्यार
अंडे फूटे बच्चे निकले
चीं-चीं
करते चोंच हिलाते
चिड़िया दाना लेकर आती
बच्चों के मुँह में डालती
एक दुःखद बात हुई
ज़ोरो की हवा चली
ज़ोर का झोंका आया
पेड़ को हिला दिया
बच्चों का शोर हुआ
चिड़ा भी घबरा गया
हवा से घोंसला बिखर गया
चिड़ा का मन तड़प उठा
घोंसला, बच्चे कहाँ गए
दोनो न निराश हुए
उन्होंने न हिम्मत हारी
नव निर्माण की बात विचारी
तिनका-तिनका फिर जुटाया
दोनो ने पुनः घोंसला बनाया
जो होते नहीं निराश
सफलता रहती उनके पास-------
No comments:
Post a Comment