बाल मनोविज्ञान पर आधारित नाटक-“मम्मी खो
गयी”
लेखिका: संतोष गुलाटी
संक्षेप में:
भोलू अपनी मम्मी के साथ बाज़ार में आता है
और बिछुड़ जाता है |
उसके मित्र उसको कैसे संभालते है और अंत में
उसकी मम्मी कैसे
मिल जाती है |
पात्र परिचय
भोलू-लड़का, आयु आठ वर्ष,
नेहा-भोलू की मित्र,
रोमा-भोलू की मित्र,
ओम-भोलू का मित्र,
आर्य-भोलू का मित्र,
भोलू की मम्मी-आयु पैंतीस वर्ष,
कई राहगीर
पुलिसमैन
(परदा उठता है |सड़क का दृश्य |कई दुकानें हैं और सामान बेचनेवाले इधर-उधर
बैठें हैं |कई लोग आ जा रहें हैं | पुलिसमैन भी
चक्कर लगाता रहता है |भोलू
का हाथ में एक गेम का डिब्बा पकडे हुए इधर-उधर देखते हुए प्रवेश | स्टेज के बीच में आकर खडा हो जाता
है और मम्मी को वहां न देखकर रोने
लगता है |)
भोलू-मम्मी,मम्मी |मुझे छोड़कर कहाँ चली गयी
? मम्मी तुम कहाँ हो? (और ज़ोर से रोने लगता है)मुझे कोई गेम नहीं
चाहिये|मम्मी,मम्मी |
(नेहा और रोमा का आपस में बातें करते हुए
प्रवेश)
(नेहा रुककर) अरे,यह तो भोलू है |भोलू,तुम
सड़क पर अकेले क्या कर रहे हो?
रोमा-तुम तो रो रहे हो |किसी ने मारा क्या?
नेहा-लगता है घर का रास्ता भूल गया है |
भोलू-तुम मुझे अँगूठा चूसने वाला बच्चा समझती
हो | मेरी मम्मी खो गयी है |
रोमा-मम्मी कैसे खो सकती है? वह तो कितनी
बड़ी है |
भोलू-पता नहीं,पर मेरी मम्मी खो गयी है
|(रोने लगता है )
नेहा-अच्छा बता,तेरी मम्मी कहाँ खो गयी है ?
भोलू-यह पता होता तो मैं ढूँढ न लेता |
रोमा-तो फिर घर जा |वहीं होगी |चल,हम तुझे
तेरे घर छोड़ आते हैं |
भोलू-घर में नहीं हो सकती |
नेहा- क्यों |
रोमा-मेरी मम्मी तो घर में ही होती है |खाना
बना रही होती है या फिर कुछ काम कर रही होती है |नेहा,तेरी मम्मी कहाँ होती है ?
नेहा-मैं तो जब भी देखती हूँ टी वी या कम्पूटर देख
रही होती है या फिर टेलीफोन पर गप्पें लड़ा रही होती है |
भोलू-पर मेरी मम्मी तो मुझे अपने साथ बाज़ार
ले कर आई थी |
रोमा-फिर कहाँ गयी ?
भोलू-मुझे यह गेम खरीद कर दी और कहा की तू इधर
ठहर मैं अभी आती हूँ|
रोमा-तो इसका मतलब वह जल्दी आ जायेगी |तू
पहले रोना बंद कर |नेहा,चल |
(राहगीर उनकी तरफ देखते हैं और चले जाते हैं
पुलिसवाला भी देखकर आगे बढ़ जाता है|)
भोलू-लेकिन बहुत देर हो गयी है |
नेहा-कितनी देर?
भोलू-शायद पाँच घंटे |कितने लोग आ जा रहें
हैं लेकिन मेरी मम्मी नहीं आ रही (रोता है)
नेहा-रोमा,क्या पाँच घण्टे हो सकते हैं
|मम्मी बच्चों कॉ इतनी देरतक सड़कपर अकेला नहीं छोड़ सकती |रोना बंद कर |तू भी एक
नंबर का पागल है |
भोलू-तूने मुझे पागल कहा |
नेहा-पागल नहीं तो क्या |तू थोड़ी देर
मम्मी के बिना नहीं रह सकता |
भोलू-थोड़ी देर की बात कर रही हो? यहाँ तो
पाँच घण्टे हो गये हैं |मैं सोच रहा था (ज़ोर से रोने लगता है)
रोमा-क्या सोच रहा था?
भोलू-सोच रहा था,सोच रहा था कि किसी डाकू ने
मेरी मम्मी को किडनैप न कर लिया हो|उन्होने लाखों रुपये माँगे तो मैं इतने पैसे
कहाँ से लाऊँगा? (और ज़ोर से रोता है)वे मेरी मम्मी को मार डालेंगे |(नेहा और रोमा
हॅंसने लगती हैं )तुम दोनो हंस रही हो |
नेहा-हँसे नहीं तो क्या |तू भी ऊटपटांग
बातें सोचता है |बुद्धू कहीं का |
भोलू-मैं बुद्धू नहीं |बुद्धू तुम दोनो हो
|इतना भी नहीं सोच सकती |
नेहा-मैं ऐसी बातें नहीं सोचती | मान ले,अगर
तेरी मम्मी को किसी ने किडनैप कर भी लिया हो तो डरने की कोई बात नहीं |हम हैं न
तेरी सहायता करने के लिये |
भोलू-वाह,वाह तुम क्या कर लोगी?
(सब थोड़ा इधर-उधर आगे-पीछे चलते रहते हैं)
नेहा-हम बहुत कुछ कर सकती हैं |हम हैं न
झाँसी की रानी |हम छुड़वा कर ले आएंगे |
भोलू-लेकिन तुम्हे कुछ अवार्ड नहीं मिलेगा |
नेहा-अवार्ड तो हम तेरी मम्मी से लेंगे
|क्यों रोमा |
रोमा-हाँ |
भोलू-तुम्हारी मम्मी कभी खोई नहीं न इसलिये ऐसी बातें करती हो |
रोमा-मम्मी नहीं खो जाती |खो जाते हैं हम
बच्चे |
भोलू-लेकिन आज तो मेरी मम्मी खो गयी है | (रोता
है |अपने बाल नोचता है)मम्मी |
नेहा-लेकिन बता,तेरी मम्मी तुझे यहीं पर
छोड़कर गयी थी ?
भोलू-हाँ,हाँ |
रोमा-नहीं,नहीं,नहीं |मुझे लगता है,तू कुछ
सोचते-सोचते इधर-उधर देखते-देखते कहीं दूसरी जगह आ गया है |तेरी मम्मी वहीं तेरा
इन्तज़ार कर रही होगी जहाँ उसने तुझे रुकने के लिये कहा था
नेहा-रोमा, तूने ठीक सोचा |भोलू चल उसी
दुकान पर जहाँ से यह गेम खरीदी थी |चल |
भोलू-कहाँ?
नेहा-उसी दुकान के बाहर |(भोलू को खींचते
हुए)चल न |मम्मी को ढ़ूँढने|
(ओम और आर्य का बातें करते हुए प्रवेश)
ओम-नेहा तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो?
नेहा-भोलू की मम्मी खो गयी है उसको ढूंढ रहे
हैं |
ओम- मम्मी खो गयी है यह कैसे हो
सकता है ?
आर्य-कहाँ खो गई है?
रोमा- यही तो पता नहीं | बस भोलू रोता जा
रहा है |
ओम- भोलू,रोने से मम्मी मिल जायेगी |
नेहा-भोलू तू बता |
रोमा-चलो,टाइम मत बर्बाद करो |
आर्य-तुम लोग कहाँ जा रहे हो ?
नेहा-भोलू की मम्मी ने किसी दुकान
से यह गेम खरीदी और भोलू को वहां रुकने के लिये कहा |पर लगता है भोलू वहां से
चलते-चलते कहीं ओरआ गया है |हमसब उसी दुकान पर जा रहें हैं|आओ तुम भी साथ आओ |
(सब चल पड़ते हैं,भोलू आगे-पीछे देखते हुए)
भोलू-अरे वह दुकान कहाँ गयी?
रोमा-मैने पहले ही कहा था |तू मम्मी को कहीं
ओर ढूंढ रहा है |
नेहा-वह दुकान कैसी थी ?
भोलू-बहुत बड़ी थी |उसके शोकेस में बहुत
सारी चीज़े रखी थीं |
आर्य-वैसी दुकान तो उधर चौराहे पर है |
नेहा-चलो,उधर चलते हैं |अब समझ में आया
|तेरी मम्मी नहीं खोयी तू खो गया है|
भोलू-मैं कैसे खो गया हूँ |मैं तो तुम्हारे
सामने खड़ा हूँ |
रोमा-मतलब यह कि अब तुम्हारी मम्मी तुझे
ढूँढ रही होगी क्योंकि तुम ठीक उस जगह पर नहीं हो जहाँ तुम्हें होना चाहिये था |
भोलू-तो तुम्हारा मतलब कि मैं खो गया हूँ |
ओम-हाँ,तुम खो गये हो|अब तेरी मम्मी रो रही
होगी |
भोलू-मेरी मम्मी रो रही होगी?
सब-हाँ |
भोलू-(रोते हुए)मम्मी,मैं खो गया हूँ |मुझे
जल्दी ढूढ़ लो |नहीं तो कोई मुझे किडनैप कर लेगा |
सब-रोना बंद करो |
(एक राहगीर का प्रवेश)
राहगीर 1-क्यों क्या हुआ? यह बच्चा क्यों रो
रहा है?किसी ने मारा क्या ?
नेहा-नहीं ऐसे ही |
राहगीर 1-घर का रास्ता भूल गया क्या ?
(कुछ राहगीर इकठे हो जाते हैं)
राहगीर 2-पुलिस को बताएं?
आर्य-नहीं,हम ऐसे ही मस्ती कर रहें हैं |
राहगीर 3-कुछ भी हो |रास्ते में मत खड़े रहो
|जाओ यहाँ से |(चला जाता है)
आर्य-चलो पुलिस स्टेशन चलते हैं |
भोलू-क्यों,मुझे जेल में बंद करवाने ?
रोमा-नहीं,रिपोर्ट लिखवाने |तुम्हारी मम्मी
खो गयी हैं |पुलिस ढूँढ कर ले आयेगी |
ओम-आइडिया अच्छा है |वैसे भी जब कोई खो जाता
है,लोग वहीं जा कर रिपोर्ट लिखवाते हैं |फिर टीवी में फोटो आ जायेगी |आपण याना
पाहिलांत का ?
भोलू-लेकिन मम्मी की फोटो तो घर में है |घर
में लगा है ताला |ताले की चाबी है मम्मी के पास |और मम्मी तो खो गयी है |
ओम-फिर वे तुम्हारी फोटो छाप देंगे कि इस
लड़के की मम्मी खो गयी है |जिसको मिले पुलिस स्टेशन पहुँचा दे |
भोलू-मैं पुलिस स्टशन नहीं जोऊंगा |वहां
वे लोग मुझे मारेंगे |
आर्य- क्यों मारेंगे?
भोलू- वे समझेंगे कि|( रोता है i)
आर्य-क्या समझेंगे|
भोलू- वे समझेंगे कि मैं चोर हूँ और तुम मुझे पकड़वाने के लिये लाए हो |
राहगीर 4-क्यों क्या हुआ ?मैं बहुत देर से
देख रहा हूँ तुम झगड़ रहे हो ?
रोमा-नहीं,नहीं यह हमारी आपस की बात है |
राहगीर 4-तुम इस लड़के को क्यों सता कर
रहे हो ?
रोमा-ऐसा कुछ भी नहीं हम एक खेल खेल रहें
हैं |
राहगीर 4-मुझे बताओ मैं कुछ मदद कर
सकता हूँ |लेकिन सड़क पर खेलना अच्छा नहीं | मुझे तो दाल में कुछ काला दिखाई देता
है |
रोमा-दाल में कुछ भी काला नहीं |दाल एकदम साफ है
|ऐसा कुछ भी नहीं जो आप सोचते हैं | यह लड़का बेईमानी कर
रहा था |
राहगीर 4-किसी का भी ऐक्सीडेन्ट हो सकता है
| जाओ यहाँ से |
राहगीर 5-चलो, बच्चे तो ऐसे ही खेलते रहते
हैं |उनका आपसी झगड़ा होगा |वे अपने आप सुलझा लेंगे |भाई साहिब, चलो |(दोनो राहगीर
चले जाते हैं)
ओम-चलो उधर चलकर सोचते है |नहीं तो यहाँ
भीड़ इकट्ठा हो जायेगी |
(बच्चे दूसरी तरफ आ जातें है)
रोमा-एक आइडिया | मैं अपनी मम्मी से कहती
हूँ कि तुम्हारी फोटो फ़ेसबुक में डाल दे |
नेहा-आइडिया अच्छा है |और तुम्हारी मम्मी
मिल जायेगी तो हो जायेगा तुम्हारी फिल्म का द एंड |
भोलू-कौनसी फिल्म ?
नेहा-तुम्हारी यह रोने की फिल्म |
रोमा-अच्छा बता,तेरी मम्मी ने साड़ी पहनी है
या सलवार कमीज़ |
भोलू-मुझे याद नहीं |
नेहा- इतनी सी बात याद नहीं |
भोलू-अगर बता दूंगा तो तुम किसी भी औरत को
पकड़ कर लाओगी और कहोगी कि ले तेरी मम्मी |
रोमा-ऐसे कैसे हो सकता है |
भोलू-ऐसा ही होता है |मैंने एक नाटक देखा था
उसमें ऐसा ही हुआ था |मैं किसी दूसरी औरत को अपनी मम्मी कैसे कह सकता हूँ |
नेहा-चलो,हम भी चलते हैं |यह हमारा समय ऐसे
ही बर्बाद कर रहा है | (दोनो जाने लगती है )
भोलू-अरे,मुझे अकेला छोड़कर मत जाओ |
(भोलू की मम्मी का भागते हुए प्रवेश)
मम्मी-तू यहाँ बातें कर रहा है |और मैंने सारा
बाज़ार ढूंढ
मारा |मेरी तो जान ही निकल गयी थी
भोलू-(मम्मी का हाथ पकड़ कर)मम्मी ,आपकी जान
कैसे निकल गयी थी?आप तो ज़िंदा हैं अगर आप न आती तो मैं मरने वाला था|
रोमा-आंटी आप इसे एक थप्पड़ लगाईए |
नेहा-भोलू देख,तेरी मम्मी की आंखे कितनी लाल
हो गयी हैं |
ओम-आंटी आप रो रहीं थी |
मम्मी-तो और क्या करती ?
भोलू-मम्मी, आप सचमुच रो रहीं थी(मम्मी के
गले लगता है) मैं भी रो रहा था (रोता है)
मम्मी-तू क्यों रो रहा था ?
भोलू-आप खो गयी थीं न इसलिये?
मम्मी-मैं कहाँ खो गयी थी |खो गये थे तुम |
रोमा-आंटी दरअसल आप दोनो ही खो गये थे और
दोनो ही रो रहे थे |सब इसी भोलू की लापरवाही के कारण हुआ |
नेहा- हाँ आंटी,न यह अपनी जगह से इधर-उधर
जाता और न ही आप परेशान होती |
रोमा- और न हमारा समय बर्बाद करता |चल जा |
सब-भोलू ,अब मम्मी का हाथ ज़ोर से पकड़
|नहीं तो रोएगा (चिढ़ाते हुए) “मम्मी खो गयी , मम्मी खो गई” |
भोलू-(ज़ोर से)हाँ मेरी मम्मी खो गयी थी
|
(पर्दा गिरता है)
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