ऐतिहासिक काव्य ------पंडित जवाहरलाल नेहरू
भारत के निर्माता नेहरू, भारत के लोकनायक नेहरू,
मोतीलाल का प्यारा जवाहरलाल, सिर पे गांधी टोपी अचकन में गुलाब,
चौदह नवम्बर है जब आता, देश बाल दिवस है मनाता,
बचपन के थे खेल निराले, जवानी के थे दिन मतवाले | 1
विदेश में जा कर शिक्षा पाई, बैरिस्टर और वकील की डिग्री पाई ,
गान्धीजी ने रौलैट एक्ट का विरोध किया,
अंगरेज़ों ने जलियांवाले बाग में नर संहार किया,
भारत में स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ | 2
गांधीजी ने असहयोग आंदोलन आरभं किया,
नेताओं की सभाओं का कुछ परिणाम नहीं हुआ,
नेहरू दुःखी हुए और गांधी के पथ को अपनाया,
अपना सब कुछ त्याग देश पर वार दिया | 3
स्वतंत्रता आंदोलन की ज्वाला देश में भड़क उठी,
अंगरेज़ो को हटाने की लगन लगी,
भारतीय विदेशी राज्य को स्वीकार कर सकते नहीं,
ब्रिटिश राज्य के ज़ुल्म सह सकते नहीं | 4
इलाहाबाद,अहमदाबाद में नेहरू को नौ बार कैद किया,
जेल के अंदर भारत की खोज पुस्तक का लेखन किया,
बेटी इन्दिरा को पत्रों से सारी दुनिया का विवरण दिया,
जेल से बाहर आए जनता ने इनका स्वागत किया | 5
अंगरेज़ो भारत छोड़ो का नारा लगाया,
अंगरेज़ भारत छोड़ो के नारों से हिल गए,
अंगरे़ज़ो को भारत छोड़ने पर मज़बूर किया,
सर्व सम्मति से नेहरू को अपना नायक स्वीकार किया | 6
स्वतंत्र भारत के लाल किले पर त्रिरंगा झंडा फहरा दिया,
भारत माता की जय का नारा गूँज उठा,
ग्राम-ग्राम,नगर-नगर में जवाहर का स्वागत हुआ,
सुलझे विचारों वाले जवाहर ने लोगों की समस्यों पर ध्यान दिया | 7
देश में धर्म,जाति ,भाषा का भेद मिटने लगा,
आकाश में सूरज और चाँद नया लगने लगा,
दूरदर्शी नेहरू ने भारत का परिभ्रमण किया,
सब रहें शांति से ऐसा निर्णय लिया | 8
सहयोगियों कीं सम्मति से पंचवर्षीय योजनाएं बनाईं,
सब को कारोबार -आवास मिले इसके लिए मिलें खुलवाईं ,
जगह-जगह सब को शिक्षा मिले ऐसी योजनाएं तैयार करवाई ,
सांस्कृतिक कार्यों में भी देश उन्नति करें ऐसी सलाह दी | 9
प्रगतिशील देशाओं की यात्राएं की,
बड़े-बड़े विदेशी नेताओं से मित्रता की,
उनके साथ ऐसी कई योजनाएं बनाईं,
भारत एक विकसित और शक्तिशाली देश बने | 10
शिक्षित युवा वर्ग नया राष्ट्र निर्माण करें,
भारत हो शिखर पर यह उनका सपना है,
विश्वभर के लोग देखे भारत कितना आत्म निर्भर है,
इतिहास में लिखी है उनके त्याग की कहानी |11
कोई भुला नहीं सकता उनकी वह कुर्बानी,
सब की ज़बान पर है उनकी कहानी,
विश्व शान्ति बनी रहे बहुत प्रयत्न किया,
27 मई 1964 को अपना शरीर त्याग दिया 12
शान्ति वन की समाधि का शान्तिदूत हमेशा जिन्दा रहेगा,
श्रद्धा सुमन अर्पण करें और बोलें भारतमाता की जय||
जय हिन्द , जय भारत, इन्कलाब ज़िदाबाद वन्दे मातरम
चाचा नेहरू जिन्दाबाद||
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