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EPIC POEM FROM RAMAYANA / रामायण महाकाव्य से – संतोष गुलाटी
राम के सहयोगी -- वन के प्राणी
दशरथ पुत्र राम पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ ,
छोड़ अयोध्या चल पड़े वनवास ,
चौदह बरस करना होगा उनको जंगल में ही वास .१
गोदावरी तट पर कुटिया बनाई ,
राम लाते फल सीता मन को है भाई ,
रक्षा करते लक्ष्मण रातों को भी नींद न आयी -2.
बीते कई सावन वर्षा ऋतु मन भाई ,
मिले ऋषि मुनि और उनकी बातें सुहाई ,
पशु विचरते ,पक्षी चहचहाते कोई दुविधा ना आयी -3
शूर्पनखा ने आ कर लक्ष्मण से अपनी नाक कटवाई ,
रोती गयी रावण पास जा कर दी दुहाई ,
रावण को सीता- हरण की बात सुझाई .4
मायावी रावण ने मारीच को स्वर्ण मृग बनाया ,
सीता के सामने दौड़ा कर उसका मन ललचाया ,
राम को दूर तक उसके पीछे भगाया .5
राम ने पीछा किया और तीर चलाया ,
मारीच को स्वर्ग पहुंचाया ,
रावण ने किया छल और सीता को ज़बरन विमान में बिठाया . 6
सीता का सुन आर्तनाद वृद्ध जटायु गिद्ध आगे आया ,
रावण ने काटी उसकी भुजा और नीचे गिराया ,
छोड़ उसको वहीँ रावण ने अपना रास्ता अपनाया .7
राम लक्ष्मण कुटिया में लौटे सीता को वहां ना पाया ,
दोनों भाईओं का मन घबराया,
कैसे लौटें अयोध्या आँखों में पानी भर आया .8
यहाँ वहां फिरते राम लक्ष्मण व्याकुल सीता वियोग में ,
देखा वीर जटायु पड़ा था लहू - लुहान में,
राम ने उठाया उसे अपनी गोद में .9 cont,....
2
वीर वृद्ध जटायु ने बताई सारी बात ,
सीता कैसे कर रही थी विलाप ,
वह लड़ता रहा जब तक थी उसमें आस .10
सीता को छुड़ा न सका यही था उसका अरमान ,
धीरे -धीरे जटायु ने त्यागे अपने प्राण ,
राम ने किया उसका संस्कार और किया प्रणाम .11
आगे बढ़ते राम लक्ष्मण मुनियों के वेश में ,
पहुंचे रिशय्मूक पर्वत वानर-रीछों के राजा सुग्रीव के देश में ,
वहां वह रहता था बड़े भाई वाली के भय में .12
गुणी,विद्यावान ,चतुर ,और बलवान ,
कपिराज ,यूथपती साथी था उसका हनुमान ,
राम लक्ष्मण से मित्रता करवाई और दिया सम्मान .13
सुग्रीव ने राम को अपना दुःख बताया ,
राम ने भी संधि कर हाथ आगे बढाया,
राम ने वाली को मार गिराया . 14
सुग्रीव को किशिकिन्धा का भूप बनाया ,
वालिपुत्र अंगद को युवराज ठहराया ,
सुग्रीव ने वानर ,भालुओं को सीता खोज में लगाया .15
सब चल पड़े इधर -उधर लगे भटकने ,
एक शिला पर बैठ कर लगे सोचने ,
किस दिशा में कहाँ जाएँ लगे रोने .16
जटायु का भाई दूरदर्शी सम्पाती आया ,
लाचार सीता का पता बताया ,
लंका के राजा रावण का नाम लगाया .17
लंका जायो सागर के उस पार ,
सोने की नगरी बड़े - बड़े हैं द्वार ,
काले- काले राक्षस हैं उसके द्वारपाल .18
सह ना सका भाई जटायु का परलोक वास,
सब को राह दिखा कर त्याग दिए अपने श्वास ,
जी न सके अब वह कैसे करें वास .19 cont...
3
कैसे जाएँ सागर पार ,
करने लगे सब यही विचार ,
कौन कैसे जा सके सागर के उस पार .20
याद दिलाते हनुमान को रीछ जाम्बवान ,
वह अति गुणी ,विद्वान्,चतुर और बलवान ,
हनुमान ने किया जाम्बवान को प्रणाम .21
उड़ चले आकाश में लेकर राम का नाम ,
उत्साह्वान नहीं घबराता ना करता विश्राम ,
सागर उतर लंका पहुंचना था उसका काम .22
लंका पहुँच रावण को अपना बल दिखलाया ,
सीता सुधि लाए सब का मन हर्षाया ,
हनुमान को सब वन प्राणियों ने गले लगाया .23
सागर पार बिना लंका जाना कठिन है ,
रावण को जीते बिना सीता पाना कठिन है ,
लंका जाना है ज़रूरी पुल निर्माण कठिन है .24
सुग्रीव ने सेतु - बंधन में चतुर नल -नील को बुलाया ,
सेतु बंधन हो कैसे प्रश्न उठाया ,
राम ने भी सागर को डराया .25
सभी वन के प्राणी बन गए राम के सहयोगी ,
जहां - तहां दौड़ पड़े राम के सहयोगी ,
वानर समूह , वन प्राणी हो गए राम के सहयोगी .26
छोटे बड़े प्राणी लाते जाते पत्थर विशाल ,
फेंकते जाते सागर में बना कर एक कतार ,
लिखते राम गाते राम जाना है उस पार .27
सब को भगाते इधर - उधर वीर हनुमान ,
रुकते नहीं उछलते कूदते कर रहे थे काम ,
हो गया आसान पुल का निर्माण .28 cont
4
एक गिलहरी भी बन गयी राम की सहयोगी ,
रेत के दानों को लिपटा कर आती - जाती ,
मानो सागर को है भरती जाती . 29
द्रिड शिलाएं रख दीं कभी न होंवे भंग ,
जुड़ गए शिला पत्थर सब हो गए दंग, ,
राम सागर को लाँघ उतरे लंका वन प्राणियों के संग .30
वीर दल ने धूम मचाई ,
अति निर्भीक ,सूरमा अंगद ने की सागर उतराई ,
पहुंचा रावण दरबार अपनी दिखाई चतुराई .31
राम का सन्देश सुनाया ,
पर खाली हाथ लौट आया ,
सुग्रीव ने सेना का सञ्चालन करवाया .32
हनुमान ने संभाली पश्चिम दिशा ,
अंगद और नील ने संभाली दक्षिण और पूर्व दिशा ,
लक्ष्मण ने संभाली उत्तर दिशा.33
सुग्रीव और वानर - समूह राम के चारों ओर ,
राक्षसों का दिखता न कोई छोर ,
सब कर रहें गर्जना और शोर .34
दोनों तरफ थे वीर योधा और सेना अति भारी ,
छल बल से युद्ध करते डरते वन विहारी ,
कोई न जीता हारा बाज़ी किसी ने न हारी .35
अंगद ने मेघनाद को हराया ,
फिर भी युद्ध करता रहा दोबारा ,
हनुमान ने राक्षसों को पछाड़ा और मारा .36
लक्ष्मण हुए मूर्छित कौन करे उपचार ,
राम हुए चिंतित खो न जाए भाई का प्यार ,
कैसे लौटें अयोध्या करते थे विचार .37
हनुमान ने छलांग लगाई ,
पर्वत सहित संजीवनी बूटी पाई ,
लक्ष्मण को स्वस्थ देख कर खुशी की लहर छाई.38 cont......
5
राम रावण युद्ध हुआ ,
कितने वन प्राणी ज़ख़्मी हुए कितनो का हनन हुआ ,
अनगिनत राक्षसों का भी मरण हुआ .39
रावण छल करता रहा ,
वन प्राणियों को भरमाता रहा ,
सीता को डराता रहा .40
राम ने किया रावण का संहार,
अभिमानी फिर भी न माना अपनी हार ,
सीता को छुडवा कर वन प्राणियों ने पाया उस का दीदार .41
हुआ युद्ध समाप्त राम विजयी हुए ,
बजा विजय का बाजा जय घोष हुए ,
सीतापति के गुण - गान हुए .42
वन प्राणी उछल कूद कर हर्ष मनाते ,
जहां देखो आनंद ही आनंद बरसाते ,
मोद मनाते गाते जाते .43
राम अकेले कुछ न कर पाते ,
वन के प्राणी अगर उसके साथ न होते ,
जंगल में ही भटकते रह जाते .44
सीता को कभी छुड़वा न पाते ,
अयोध्या कभी लौट न पाते ,
उनके नामो -निशाँ ही मिट जाते .45
राम ने दिया सब को सम्मान ,
ले कर आये सब को अयोध्या किया कुछ दिन विश्राम ,
हनुमान ने पाया सीता से भी सम्मान .46
हनुमान करते सेवा रहे राम चरणों के पास ,
अपना ह्रदय चीर कर दिखा दिया राम का वास ,
वन प्राणी भी सहयोगी बनते रखें उन पर सदैव विश्वास .47
END
--- संतोष गुलाटी --------
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