आशाएं सब के जीवन में कुछ न कुछ आशाएं होती हैं . कभी- कभी कोई आशा व्यक्ति को जीवन की ऊँचाई पर पहुंचा देती है और कभी-कभी जीवन को समाप्त भी कर देती है . व्यक्ति आशा पर ही जीता है .....
राहिल एक कम पढ़ा लिखा नौजवान . साधारण सा छोटा सा घर और माँ-बाप . यही था उसका संसार . कभी कोई नौकरी ढूंढ लेता और समय व्यतीत हो जाता . माँ-बाप की एक ही आशा थी कि शादी कर अपनी घर -गृहस्थी बना ले . एक साधारण परिवार की लडकी से शादी हो गयी .लडकी सुन्दर परन्तु कम पढ़ी -लिखी थी .
शादी के बाद उसकी महत्वाकांक्षाये बहुत अधिक थीं . जिसको राहिल पूरा नहीं कर सकता था . एक बेटी भी हो गयी .आशाएं बहुत अधिक होती गयीं . वह कहती बेटी के लिए एक नौकरानी चाहिये . घर के काम के लिए एक नौकर रखो . घर छोटा है . बड़ा घर चाहिये . वह अब उस घर में नहीं रह सकती . रात-दिन घर में तू-तू मैं -मैं होने लगी . बेटी को छोड़ कर मायके जाने लगी . सास -ससुर परेशान हो गए . बच्ची माँ के बिना नहीं रह सकती थी .
समय बीतते एक वर्ष की बेटी को छोड़ कर हमेशा के लिए मायके चली गयी . लेकिन कुछ हल नहीं मिला . एक दिन वापिस आयी . सास के साथ गाली - गलौच करने लगी और सास को एक थप्पड़ भी लगा दिया . राहिल पत्नी को उसको मायके छोड़ आया . वह उसे वहां नहीं रख सकता . अलग घर ढूढंता रहा . इतनी महगाई में घर मिलना बहुत कठिन था .लडकी के बाप ने भी यही चाहा कि वह वापिस ना जाये क्योंकि वह भी अकेला था . उसकी पत्नी मर चुकी थी . अपना सुख देखते हुए लड़के वालों पर एक करोड़ का मुकदमा कर दिया . लडकी भी सोचने लगी कि वह सुन्दर है कोई करोडपती उससे शादी कर लेगा .
इसी इंतज़ार में बरसों बीत गए .दादा -दादी के सहारे बच्ची पलने लगी . उसे माँ शब्द बोलना नहीं आया क्योंकि उसके सामने माँ नहीं थी . वह तो केवल दादा-दादी को ही पहचानती थी .किसी की भी आशाएं पूरी नहीं हुई . बच्ची को आशा है कि एक दिन उसकी माँ अवश्य लौट आयेगी . पर पता नहीं कब ….. सब की आशाएं अधूरी ही हैं और समय बीतता चला जा रहा हैं . लेकिन घड़ी के कांटे चलते जा रहें हैं..........
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