Tuesday, September 22, 2015

विश्व शा्न्ति का नारा


विश्व शा्न्ति का नारा

विश्व कर रहा पुकार है

शान्ति के लिए हो रही  हाहाकार है

यहाँ कैसा हो रहा नरसंहार है

मासूमों पर क्यों हो रहा अत्याचार है ?

हे हिंसक ! तलवारें और  बन्दूकें  बनाना बंदकरो

ख़तरनाक  बम बनाना बंदकर  करो

इनसे होनेवाली हिंसा तुम्हें जीने नही देगी

इनकी सफलता तुझे  ही   हैवान बना देगी

यह संसार न तेरा है न मेरा  है

फिर तू क्यों रहता मदहोश है

जंग से कभी किसी ने कुछ पाया नहीं

फिर भी हृदय क्यों पिघलता नहीं ?

हे प्राणी! तू सुखी  हो नहीं सकता है

जब तक  भय फैल रहा तेरे आस-पास है

ऐसे मानव को लगा दो बे़ड़ियाँ

जो कर रहा बिना विचारे अत्याचार है

अशोक, सिकन्दर ने क्या सोचा था

जो जंग से कर दिया सर्वनाश था

महाभारत में ऐसा भयकंर युध्द हुआ

परिणाम कितना शर्मनाक हुआ

बिछ गईं लाशें ही लाशे चारों ओर

कौवे, चीलें और गिद्ध  मचा रहे शोर

जानवर भी ढूँढते अपना शिकार

हे प्राणी ! ऐसे दृश्य तुम्हे न रुलाएँ तो है धिक्कार

कम्पा देती है हाय ! हाय ! की आवाज़

निकलती है दिल से गालियाँ और शाप

विश्व कर रहा यह सवाल  है

क्या  यह हो रहा कोई व्यापार है ?

शौक है मारने का तो मारों अपनी बुराईयों को

हे मानव ! लोभी क्यों हो गया इतना

निरपराध पर क्यों करता वार है

जो दूसरों का खून पीकर झूम रहा है

शान्ति की आस में विचलित संसार है

खाली हाथ आया फिर क्या करे विचार है

शान्ति के लिए हथियार  नहीं ज़रूरी

शान्ति के लिए आवाहन है ज़रूरी

विश्व में शान्ति बनी रहे कुछ तो करना चाहिए

किसी का दुःख दर्द  मिटाना चाहिए

विश्व शान्ति का नारा ही  लगाना  चाहिए

कोई सुने न सुने हमें तो  अपना कर्तव्य निभाना चाहिए---------

 

 संतोष गुलाटी

 

 

 

 

 

 

 

 

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