विश्व पर्यावरण दिवस-5 जून
पेड़ों की जीवन व्यथा
बूढ़ा पेड़ यानि बीता हुआ कल
हरा भरा पेड़ यनि आने वाला कल
बूढ़ा पेड़(खाँसता है)
हरा पेड़--काका, क्या हुआ ?
बूढ़ा पेड़-कुछ नहीं ।
हरा पेड़-फिर ऐसे क्यों खाँस रहे हो ?
बूढ़ा पेड़-कमज़ोर हो गया हूँ न इस लिए ।
हरा पेड़--कोई इलाज करूँ ?
बूढ़ा पेड़-अब क्या इलाज करोगे ?
हरा पेड़-मैं कुछ तो कर सकता हूँ ।
बूढ़ा पेड़-वैसे भी हमको सब कटवाने वाले हैं ।
हरा पेड़--क्यों?
बूढ़ा पेड़-इन्सान को रहने के लिए अधिक जगह चाहिए ।
हरा पेड़--मुझे भी हटा देंगे ?
बूढ़ा पेड़- हाँ, अब हमारी ज़िन्दगी के थोड़े दिन बाकी हैं ।
हरा पेड़--अब क्या होगा ?
बूढ़ा पेड़-बस बीते दिनों को याद करें ।
हरा पेड़- काका, कैसे दिन ?
बूढ़ा पेड़-जब सावन के महीने में युवतियाँ गाती थीं ।
हरा पेड़--क्या गाती थीं ?
बूढ़ा पेड़-सावन के झूले पड़े, बाबुल भैय्या को भेजो जी ।
हरा पेड़-- झूले तो अभी भी घरों में, बागों में लगें हुए हैं । इसमें चिन्ता की कोई बात नहीं ।
बूढ़ा पेड़-अरे पगले, मैं उन झूलों की बात नहीं कर रहा ।
हरा पेड़--तो फिर कौनसे झूले ?
बूढ़ा पेड़-मैं उन झूलों की बात कर रहा हूँ जो सावन के महीने में लोग पेड़ों पर लगाते हैं । और नवयुवतियाँ गाती हैं । मेरे भैया को भेजो जी कि सावन के झूले पड़े ।
हरा पेड़-हाँ, अगर पेड़ ही न होंगे तो झूलें बागों में लग सकते हैं ।
बूढ़ा पेड़-पेड़ो पर लगे झूलों पर झूलने का मज़ा कुछ ओर ही है ।
हरा पेड़--हाँ काका, आप ठीक कहते हो ।
बूढ़ा पेड़-ॠतु वसंत आएगी तो कोयल कहाँ और कैसे कूकेगी ?
हरा पेड़--ऊँचे-ऊँचे घरों की छत से ।
बूढ़ा पेड़-मैं समझा रहा हूँ कि जब आम का पेड़ ही नहीं होगा तो कोयल को आम की खुशबू का पता कैसे लगेगा और गायक कैसे गाएगा “कोयलिया बोले अम्बुआ की डार पर । ॠतु वसंत का देत संदेशवा”।
हरा पेड़--यह तो मनुष्य ने सोचा ही नहीं होगा ।
बूढ़ा पेड़-पथिक को आराम के लिए छाया नहीं मिलेगी ।
हरा पेड़-काटने के बदले पेड़ ओर लगाने चाहिए ।
बूढ़ा पेड़- उधर एक शिला देख रहे हो ।
हरा पेड़--हाँ । उसके उपर कुछ लिखा हुआ है ।
बूढ़ा पेड़-ठीक देखा । उसके उपर एक मंत्री का नाम लिखा हुआ है । पिछले साल जिसने एक नया पेड़ लगाया था । समाचार पत्रों में फोटो छपी । उसके बाद वहाँ कोई नहीं आया । धूप में बिना पानी के पेड़ खड़ा-खड़ा सड़ गया ।
हरा पेड़- अब दूसरा मंत्री दूसरा पेड़ लगाने आ रहा है ?
बूढ़ा पेड़- हाँ, लेकिन लगाने नहीं । हम सब को कटवाने और हम जब नीचे गिरेगे तो वहाँ खड़े लोग खूब ज़ोर से तालियाँ बजाकर मंत्री की जयजयकार करेंगे ।
हरा पेड़-मतलब एक ओर शिला बनेगी ? उसके उपर भी मंत्री का नाम लिखा जाएगा ?
बूढ़ा पेड़- हाँ ।
हरा पेड़--और फिर हमारा क्या होगा ?
बूढ़ा पेड़-होना क्या है । हमारे टुकड़े-टुकड़े कर देंगे । फिर कहीं दूर ले जाकर फेंक देगे । बस हमारा जीवन समाप्त । यही है हमारी गाथा ।
हरा पेड़--मेरा भी यही हाल होगा ?
बूढ़ा पेड़-केवल तुम्हारा हीं नहीं बल्कि बहुत पेड़ों का यही हाल होगा ।
हरा पेड़--यह तो बहुत बुरा है । हम मनुष्य को फल देते हैं, पथिक को छाया देते हैं, बारिश लाते हैं, ठंड़ी हवा देते हैं, पक्षियों का रैन बसेरा हैं, कई जानवरों को खाना देते हैं ।
बूढ़ा पेड़- मनुष्य को त्यौहार मनाने का अवसर देते हैं, हम धूप में तपते हैं , झुलसते हैं, बारिश न होने से देखो पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं जैसे किसी को पीलिया की बीमारी हो जाती है ।
हरा पेड़--फिर भी हमारे साथ ऐसा व्यवहार। इन्सान कितना स्वार्थी हो गया है ।
बूढ़ा पेड़-हमारे होने से ही तो बारिश होती है । और बारिश होने से नदियाँ पानी से भरी रहती है
हरा पेड़---हाँ, उस पानी से मछलियाँ ज़िन्दा रहती हैं । जानवर नहाते हैं । हाथी देखो अपनी सूँड से कैसे अपने ऊपर पानी उछालता है ।
बूढ़ा पेड़-और पता है बच्चे स्कूल में क्या गाते हैं ?
हरा पेड़--काका, आप बताओ ।
बूढ़ा पेड़-अच्छा, मैं ही बताता हूँ । सुनो । मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है, हाथ लगाओ डर जाएगी, बाहर निकालो मर जाएगी ।
हरा पेड़--हाँ काका । एक ओर गाना भी है जो बारिश होने पर बच्चे बड़े मज़े से गाते हैं ।
बूढ़ा पेड़-सुनाओ,जल्दी । कहीं वे लकड़हारे न आ जाएँ ।
हरा पेड़--सुनो, पानी बरसा छम छम छम , छाता लेकर निकले हम, पैर फिसल गया गिर गए हम छाता नीचे ऊपर हम
।
बूढ़ा पेड़-अब बारिश नहीं होगी तो बच्चे कैसे गाएँगे ।
हरा पेड़--बड़े दुख की बात हैं ।
बूढ़ा पेड़-बारिश न होगी तो धरती बंजर हो जाएगी ।
हरा पेड़--फिर अनाज नहीं होगा तो लोग भूखे मरेंगे ।
बूढ़ा पेड़- फिर हाहाकार मचेगा, जग में अपराध बढ़ेंगे, बड़ी खलबली मच गई है ।
हरा पेड़— हम अपनी वेदना किसको कहें। हम फैलाते हैं हरियाली । जीवन में लाते हैं खुशहाली ।
बूढ़ा पेड़-समझा, मैं आजकल क्यों उदास रहता हूँ । अब देख लोग एक मंत्री और लकडहारों को ले कर आ रहे हैं । मेरा अन्तिम प्रणाम ।
बूढ़ा पेड़-मेरा संदेश ” अगर आने वाली पीढ़ियाँ स्वास्थय पूर्वक जीवन जीना चाहती हैं तो पेड़ों को मत काटो और प्रदूषण से अपने आपको बचा कर रखो ।“ बस यही
है हमारी गाथा । अलविदा ।
संतोष गुलाटी
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