माँ बेटी का सपना
बेटी “माँ, कह एक कहानी ,जिस में हो एक राजा और एक रानी ,
मैं उनकी राजकुमारी सोने का पलना हो,पंखा झुलाएं नौकर र्चाकर सोने की सवारी हो”.
माँ –“बेटी कुछ याद नहीं आती ऐसी कोई कहानी ,
घर में न दाल है न पानी, झांकते हैं बर्तन, आग नहीं है चूल्हे में ,
दादा हैं खांसते रहते, दादी पड़ी है बिस्तर में,
सब्जी वाली डलिया है खाली पड़ी, जेबें हो गयी खाली महगाई है इतनी बड़ी ,
कैसे सुनाऊं ऐसी कहानी , जिसमे हो एक राजा एक हो रानी,
नहीं दी है फीस तेरी, स्कूल से तेरा नाम कटा है,
फैक्ट्री में लगा है ताला, तेरे बापू को काम भी नहीं मिला है,
तू बनती है राजकुमारी , तेरी मां की साड़ी फटी है,
हाथों में पड़े है छाले पैरों में जूतियाँ फटी हैं, रोटियां हैं सपनो में, थाली खाली पड़ी है,
दूध मलाई की बात कहां , बिन पैसों के मिलता पानी भी नहीं है,
बेटी, कैसे सोचूँ ऐसी कोई कहानी , जिस में हो एक राजा और एक रानी”.
बेटी - “अच्छा मां ,कह वही कहानी ,जिसमें परी देती है रोटी और पानी,
बच्चों को ले जाती है अपने देश में, सजाती है उनको अलग -अलग वेश में ,
कितना सुंदर उसका उड़न खटोला, दिखा दे सारी दुनिया इक्के वाला,
बाग़- बगीचे खिलोनों की दुनिया ,खेल तमाशे ,चाँद सितारों की दुनिया,
खिलाती है भर पेट खाना, सुनाती है लोरियों का गाना,
बच्चे भूल जातें हैं, उस लाइन को, मिलता है जहां राशन और पानी,
यहाँ न कोई राजा है न कोई रानी,
मां, बस वही सुना कहानी , जिसमें परी देती है रोटी और पानी.
मां - “हाँ बेटी याद आई एक कहानी ,एक था राजा एक थी रानी,
राजा की नानी थी बड़ी सयानी, कहती थी हर रोज एक कहानी.
लेकिन मर गई रक दिन राजा की रानी, पर ख़तम नहीं हुई यह कहानी,
तब वहां आई रानी की नानी, डिब्बों में भर कर लाई राशन और पानी,
दूध, मलाई , मक्खन ,मिश्री ,चटनी और आचार .
रानी की नानी थी बड़ी थी दानी, बाँट दिया सब कुछ बच्चों में, देखते रहे राजा और रानी.
नहीं ख़तम नहीं हुई यह कहानी ,बस इसी तरह चलती रही कहानी,
रात को परी आती है, राशन- पानी दे जाती है,
जैसे सूरज निकलता है,सब कुछ गायब हो जाता है” .
बस यही है मां- बेटी के सपनों की कहानी ,एक था राजा एक थी रानी , नानी कहती थी एक कहानी.
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